Saket Gokhal Bail: टीएमसी नेता साकेत गोखले को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर दी जमानत
Saket Gokhal Gets Bail: तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेता साकेत गोखले को दिसंबर में गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया था. हाई कोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए जमानत से मना कर दिया था.
Misappropriation of Funds Case: कोविड पीड़ितों की सहायता के लिए लोगों से लिए गए चंदे के गबन के आरोपी तृणमूल कांग्रेस नेता साकेत गोखले को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 अप्रैल) को जमानत दे दी. 100 दिन से ज्यादा समय से जेल में होने और मामले में चार्जशीट दाखिल हो जाने के आधार पर कोर्ट ने जमानत दी है. गोखले को दिसंबर में गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया था. गुजरात हाई कोर्ट ने मामले को गंभीर बताते हुए जमानत से मना कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में बेंच ने यह कहा
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि वह टीएमसी प्रवक्ता की अर्जी को स्वीकार करने की इच्छुक है क्योंकि मामले में चार्जशीट पहले ही दायर हो चुकी है. साकेत गोखने के वकील ने बेंच को बताया कि उनके मुवक्किल 108 दिनों से जेल में हैं. वहीं, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने गोखले की अर्जी का विरोध किया. हालांकि बेंच ने याचिका को स्वीकार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी.
गुजरात हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
गुजरात हाई कोर्ट ने कहा था कि गोखले के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है. गुजरात हाई कोर्ट में गवाहों के बयानों के आधार पर तर्क दिया गया था कि गोखले ने न सिर्फ शिकायतकर्ता की पत्नी से, बल्कि 1767 व्यक्तियों से धन प्राप्त किया था. हाई कोर्ट ने देखा कि ये राशि सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए जुटाई गई थी और ज्यादातर लेनदेन ऑनलाइन हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने इस मामले पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा था.
किसने कराई थी गोखले के खिलाफ शिकायत दर्ज?
बता दें कि गुजरात सरकार में उप सचिव के रूप में काम करने वाले शिकायतकर्ता ने 28 दिसंबर 2022 को गोखले के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उप सचिव की पत्नी ने गोखले की ओर से शुरू की गई क्राउडफंडिंग में योगदान के रूप में कुछ राशि का भुगतान किया था. फंड का इस्तेमाल गरीब लोगों के कल्याण के लिए किया जाना था. हालांकि, आरोप लगाया गया कि गोखले ने अपने निजी खर्चों के लिए धन की हेराफेरी की. वहीं, गोखले अपने बचाव में तर्क दिया था कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के तहत निशाना बनाया जा रहा है. गुजरात हाई कोर्ट के उन्होंने दावा किया था कि सरकार चाहती है कि वह जेल में रहें.