Delhi MLA Salary Hike: दिल्ली के विधायकों की तनख्वाह 54 हजार से बढ़कर अब होगी 90 हजार, केंद्र से मिली मंजूरी
Delhi MLA Salary: AAP नेता सौरभ भारद्वाज के मुताबिक सारे भत्ते मिलाकर पहले 54 हजार रुपए मिलता था, उसके अब 90 हजार रूपये मिलने के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है.
Salary of Delhi MLAs: दिल्ली के विधायकों की तनख्वाह में जल्द ही बढ़ोतरी होगी. हर महीने मिलने वाली तनख्वाह 54 हजार रूपये से बढ़कर 90 हजार रूपये हो जाएगी. आज आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने एक प्रेस कांफ्रेंस में ये जानकारी दी. उन्होंने कहा कि हमने केंद्र सरकार को सैलरी बढ़ाने के लिए जो बिल भेजा था, उसमें केंद्र की ओर से मंजूरी मिली है. केंद्र से सुझाव आया है कि विधायकों की सैलरी 12 हजार से 30 हजार कर लें. इसके साथ ही सारे भत्तों के लिए भी केंद्र ने सुझाव दिए हैं. जैसे निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 18 हजार से बढ़ाकर 25 हजार, वाहन भत्ता 6 हजार से 10 हजार, टेलीफोन भत्ता 8 हजार से 10 हजार और सचिवालय भत्ता 10 से 15 हजार कर लिया जाए. आप नेता के अनुसार सारे भत्ते मिलाकर जो पहले 54 हजार रूपये मिलता था, उसके अब 90 हजार रूपये मिलने के लिए केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है.
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि 2015 में जब AAP सरकार बनी थी, तब विधायकों का मानना था कि उनके लिए सम्मानजनक मेहनताना मिले, ताकि वो बिना किसी बाहरी लोभ के अपनी तनख्वाह के अंदर अपने परिवार का गुजारा कर सकें और समाज की सेवा के लिए अपना शत प्रतिशत दे सकें. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब हम लोग विधायक बने, तब सैलरी 12 हजार रूपये थी, ये बेसिक सैलरी नहीं सैलरी है. हमने इसे बढ़ाने को लेकर एक बिल पास किया, जो केंद्र सरकार को भेजा.
2015 से 2022 से अब तक वो बिल फंसा हुआ था. 7 साल तक दिल्ली के विधायकों की सैलरी 12 हजार रूपये थी. सौरभ भारद्वाज कहते हैं कि गूगल पर दिल्ली के विधायकों की तनख्वाह 2 लाख 10 हजार रूपये है. ज्यादातर वेबसाइट और विकिपीडिया पर यही है, जो झूठ हैं. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अभी सैलरी बढ़ी नहीं है, इसकी एक प्रक्रिया है. अभी दिल्ली विधानसभा के अंदर इसे रखा जाएगा और पास किया जाएगा. फिर इसे नोटिफाई किया जाएगा.
अन्य राज्यों में विधायकों की सैलरी कितनी
तेलंगाना -ढाई लाख
महाराष्ट्र - 2 लाख 32 हजार
यूपी - 1 लाख 87 हजार
जम्मू - 1 लाख 60 हजार
उत्तराखंड - 1 लाख 60 हजार
आंध्र प्रदेश - 1 लाख 30 हजार
हिमाचल प्रदेश- 1 लाख 25 हजार
राजस्थान- 1 लाख 25 हजार
पंजाब - 1 लाख 14 हजार
हरियाणा - 1 लाख 15 हजार