जीव की रक्षा के लिए जान भी दे देते हैं कांकाणी के लोग, इसी गांव में सलमान खान ने किया था हिरण का शिकार
राजस्थान के जोधपुर के कांकाणी गांव में दो अक्टूबर 1998 की रात सैफ अली खान, सोनाली बेन्द्रे, तब्बू और नीलम जिप्सी कार में थे, सलमान खान वाहन चला रहे थे. हिरणों का झुंड देखने पर उन्होंने गोली चलायी और उनमें से दो हिरण मार दिये थे. इसी मामले में दबंग खान को दोषी ठहराया गया है.
नई दिल्ली: काला हिरण हत्या मामले में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है. अन्य आरोपी कलाकारों सैफ अली खान, सोनाली बेन्द्रे, तब्बू और नीलम को जोधपुर की अदालत ने बरी कर दिया है. करीब 20 साल पुराने इस केस की शुरुआत राजस्थान के जोधपुर के कांकाणी गांव से शुरू हुई थी. सलमान पर आरोप था कि ‘हम साथ साथ हैं’ फिल्म की शूटिंग के दौरान दो अक्टूबर 1998 को उन्होंने गांव के भागोडा की ढाणी में दो काले हिरणों का शिकार किया.
सरकारी वकील भवानी सिंह भाटी ने कोर्ट में कहा कि कांकाणी गांव में उस रात सभी कलाकार जिप्सी कार में थे, सलमान खान वाहन चला रहे थे. हिरणों का झुंड देखने पर उन्होंने गोली चलायी और उनमें से दो हिरण मार दिये थे. उन्होंने कहा कि जब लोगों ने उन्हें देखा और उनका पीछा किया तो ये कलाकर मृत हिरणों को मौके पर छोड़कर भाग खड़े हुए. इस मामले में मुख्य शिकायकर्ता पूनमचंद बिश्नोई ने दावा किया था कि हिरण का मामला बिश्नोई समाज की आस्था से जुड़ा है.
जीव रक्षा के लिए जान भी कुर्बान कर देते हैं लोग
राजधानी जयपुर से 351 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कांकाणी और और उसके आस-पास के गांव के बिश्नोई समाज को वन्यजीव प्रेमी माना जाता है. इसकी पीछे धार्मिक मान्यताएं भी है.
यहां के लोग जानवर और पेड़ की रक्षा के लिए काफी जागरूक हैं. लोग जानवरों की रक्षा के लिए जान तक कुर्बान करने के लिए तैयार हो जाते हैं. बिश्नोई बहुल गांव में पेड़ काटना पूर्ण प्रितबंधित है. यहां तक की परिवार में किसी की मौत हो जाने पर उन्हें जलाने के बजाय दफना दिया जाता है.
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प्राकृतिक सौंदर्य और वन्य जीव को देखने आप भी कांकणी और आसपास के गांव जा सकते हैं. कांकणी गांव से 24 किलोमीटर की दूरी पर जोधपुर रेलवे स्टेशन है. वहीं गांव के एक दम नजदीक हनवंत और सलावास रेलवे स्टेशन है. यहां से आप बिल्कुल आसानी से गांव तक पहुंच सकते हैं.
जोधपुर के लूनी तहसील का कांकाणी गांव बिश्नोई बहुल है. यह गांव हैंड प्रिंटिंग और नक्काशीदार मिट्टी के बर्तनों के लिए जाना जाता है और इसे लोगों ने बखूबी रोजगार से जोड़ा है. 2200 के करीब जनसंख्या वाले इस गांव में लोग हिंदी आसानी से समझ और बोल लेते हैं. गांव में महिलाओं की संख्या प्रतिशत में देखें तो 48.0 प्रतिशत है.
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