कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने बुधवार को गांधी परिवार के नेतृत्व की आलोचना करने के लिए अपने पार्टी सहयोगी कपिल सिब्बल पर पलटवार करते हुए उनसे पूछा कि उन्होंने (कपिल सिब्बल) पार्टी में किसी भी पद के लिए चुनाव कब लड़ा था. संगठन से इतना कुछ मिलने के बावजूद शिकायत करने को “थोड़ा दुखद” बताते हुए खुर्शीद ने सिब्बल सहित ‘ग्रुप ऑफ 23’ के हस्ताक्षरकर्ताओं पर भी निशाना साधा जिन्होंने 2020 में सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर पार्टी में व्यापक बदलाव की मांग की थी.
खुर्शीद ने कहा, “गांधी परिवार पार्टी को एक साथ जोड़े रखने वाला कारक है और संकट की इस घड़ी में नेतृत्व के लिये सबसे अच्छा विकल्प है.” इससे पहले सिब्बल ने कहा कि यह गांधी परिवार के लिए नेतृत्व की भूमिका छोड़कर किसी अन्य व्यक्ति को मौका देने का समय है. सिब्बल ने एक साक्षात्कार में कहा था कि गांधी परिवार को स्वेच्छा से हट जाना चाहिए क्योंकि “उनके द्वारा नामित एक निकाय उन्हें कभी नहीं कहेगा कि उन्हें सत्ता की बागडोर नहीं संभालनी चाहिए.” सिब्बल की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए खुर्शीद ने पूछा, “पार्टी में कोई पद पाने के लिये सिब्बल ने चुनाव कब लड़ा था?”
खुर्शीद ने ऐसे समय में गांधी परिवार का पुरजोर बचाव किया है, जब कांग्रेस हाल के विधानसभा चुनावों में अपनी चुनावी हार के बाद अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है. इन पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश भी शामिल है जहां उसे सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली और बमुश्किल दो प्रतिशत से थोड़े अधिक मत मिले. खुर्शीद के अनुसार, पार्टी के भीतर लोगों से बात करने के बाद आम धारणा यह है कि वे चाहते हैं कि राहुल गांधी पूर्णकालिक पार्टी अध्यक्ष का पद संभालें. उन्होंने कहा, “... हम सभी ईमानदारी से उम्मीद कर सकते हैं कि चुनाव अगस्त में होगा, और अगस्त में वह फिर से पार्टी के अध्यक्ष बन उपकृत करेंगे.”
उन्होंने कहा, “हम सत्ता में रहने के कुछ हद तक आरामदायक जीवन के आदी रहे हैं क्योंकि यह गांधी परिवार के सदस्यों द्वारा पीढ़ियों से गारंटीकृत था और हम अचानक परेशान महसूस कर रहे हैं कि वे हमें फिलहाल सत्ता में नहीं रख पाये हैं.” पूर्व केंद्रीय मंत्री ने तर्क दिया कि आंतरिक कलह से पार्टी को मदद नहीं मिलती है, बल्कि इससे भाजपा को मदद मिलती है. सिब्बल ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा था कि वह “घर की कांग्रेस” नहीं, “सब की कांग्रेस” चाहते हैं.
खुर्शीद ने सिब्बल की आलोचना करते हुए कहा कि रविवार को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में एआईसीसी मुख्यालय के पास अपनी मर्जी से गांधी परिवार के समर्थन में जुटी भीड़ को भी समावेशी कांग्रेस का हिस्सा माना जाना चाहिए. गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले नेताओं में गिने जाने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जब आप ‘सब की कांग्रेस’ की बात करते हैं तो इसका मतलब समावेशी कांग्रेस है.”
सोनिया गांधी के नेतृत्व में पूर्ण विश्वास की पुष्टि करने वाली चर्चा में भाग लेने वाले ‘जी-23’ के तीन सदस्यों सहित सीडब्ल्यूसी की बैठक का जिक्र करते हुए खुर्शीद ने कहा कि पार्टी के बाहर “भ्रमित करने वाले संकेत” देने से पार्टी की कोई सेवा नहीं होने वाली. सीडब्ल्यूसी के सदस्य खुर्शीद ने कहा, “सीडब्ल्यूसी में एक स्वतंत्र और स्पष्ट चर्चा हुई. ऐसे मुद्दे थे जो जी -23 से संबंधित लोगों ने उठाए और उन्हें पूरी विनम्रता और गंभीरता के साथ सुना गया और विचारों का एक दोस्ताना आदान-प्रदान हुआ. और फिर उन्होंने उस निर्णय में भाग लिया (सोनिया गांधी के नेतृत्व में पूर्ण विश्वास व्यक्त करना).”
उन्होंने कहा, “तो अब अगर उनमें से जो लोग सीडब्ल्यूसी के पहले और बाद में एक साथ इकट्ठा हो रहे हैं, एक अलग दृष्टिकोण ले रहे हैं, तो स्पष्ट रूप से उनको खुद को अलग करना माना जायेगा या वे अपना पक्ष रखें .” उन्होंने कहा कि अगर आप खुले तौर पर साक्षात्कार देते हैं और सार्वजनिक रूप से बोलते हैं तो होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं होती है.
जी-23 का जिक्र करते हुए खुर्शीद ने कहा कि अगर कोई "हम में से कुछ" की तुलना में यह देखे कि उन्होंने पार्टी से क्या हासिल किया और पाया तो पलड़ा उनकी ओर झुका होगा. उन्होंने कहा, “इतना प्राप्त करने के बाद, उनका शिकायत करना थोड़ा दुखद लगता है. अगर पार्टी में चीजें ठीक नहीं रही हैं जैसा कि उन्हें किसी कल्पित तरीके से होना चाहिए, तो चीजों के ठीक नहीं होने का फायदा उन्हें हुआ है.” खुर्शीद ने राहुल गांधी तक “पहुंच” के बारे में अक्सर उठाए गए सवाल का भी उल्लेख किया.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, “बेशक, ऐसे लोग हैं जो कहते हैं कि उन्हें पूर्णकालिक अध्यक्ष होना चाहिए और उन्हें वास्तव में हमारे लिए सुलभ होना चाहिए जिस तरह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी हमारे लिए सुलभ थे या पिछले वर्षों में जिस तरह सोनिया जी तक हमारी सुलभ पहुंच थी. बहुत सारे लोग कहते हैं कि उन्हें हमारे लिए अधिक सुलभ होना चाहिए, लेकिन वे चाहते हैं कि वह अध्यक्ष बनें.” सिब्बल पर एक अन्य व्यंग्यात्मक टिप्पणी में उन्होंने कहा, “क्या ऐसा है कि वह राज्यसभा सांसद बनने के लिए इतने कद्दावर व्यक्ति थे कि कोई उन्हें रोक नहीं सका, नहीं. उन्हें पसंद किया गया और उनका सम्मान किया गया और इसलिए उन्हें राज्यसभा सांसद बनाया गया. ...हमें उन जड़ों को नहीं भूलना चाहिए जहां से हम आए हैं.”
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