सैम पित्रोदा. कांग्रेस के नेता हैं. राजीव गांधी के वक्त से कांग्रेस के साथ हैं. बहुत कम बोलते हैं, लेकिन जब भी बोलते हैं, पार्टी की फजीहत ही करवाते हैं. अभी विरासत में मिली संपत्ति को लेकर सैम पित्रोदा ने जो कहा है, कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता उस बयान से किनारा करके पार्टी को फजीहत से बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब सैम पित्रोदा ने कांग्रेस को मुसीबत में डाला है. इतिहास में कम से कम पांच बड़े ऐसे मौके आए हैं, जहां सैम पित्रोदा के बयानों ने कांग्रेस की छीछालेदर में कोई कमी नहीं छोड़ी है.


सैम पित्रोदा का पूरा नाम है सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा. 1964 में वो अमेरिका चले गए और फिर वहां की नागरिकता ले ली. 1981 में भारत लौट आए और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ काम करना शुरू किया. भारत की नागरिकता भी ले ली. इंदिरा गांधी की मौत के बाद सैम राजीव गांधी के साथ काम करने लगे. उनके सलाहकार बने और टेलीकम्युनिकेशन के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश शुरू कर दी. घर-घर में कंप्यूटर और फिर मोबाइल पहुंचाने में सैम पित्रोदा की बड़ी भूमिका रही है.


पुलवामा हमले पर सैम पित्रोदा ने क्या कहा था?
एक सफल टेक्नोक्रेट एक सफल नेता भी हो, इसकी कोई गारंटी नहीं है और सैम पित्रोदा के साथ यही हुआ है. वो अब इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. शिकागो में रहते हैं, लेकिन जब-जब भारत में कांग्रेस का भला करने की कोशिश करते हैं, नुकसान हो जाता है. अभी हाल ही में विरासत में मिली संपत्ति को लेकर दिया बयान चर्चा में है ही, लेकिन सैम के बयान पर सबसे बड़ा विवाद हुआ था साल 2019 में जब पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था और सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत हो गई थी. तब सैम पित्रोदा ने कहा था- पुलवामा जैसे हमले होते रहते हैं. मैं इन हमलों के बारे में ज्यादा नहीं जानता. मुंबई में भी हमला हुआ था. हम भी पाकिस्तान में प्लेन भेज सकते थे, लेकिन ये सही तरीका नहीं है. मेरे हिसाब से आप वैश्विक समस्याओं से ऐसे डील नहीं कर सकते.'


2019 चुनाव में भी सैम पित्रोदा के बयान से भड़की थी सियासत
इस बयान के ठीक बाद जब अप्रैल 2019 में लोकसभा के चुनाव अपने पीक पर थे, तो सैम पित्रोदा ने टैक्स को लेकर भी बयान दिया था. उन्होंने कहा था- देश के मिडिल क्लास को स्वार्थी नहीं बनना चाहिए. कांग्रेस की जो न्याय योजना प्रस्तावित है, उसके लिए फंड की जरूरत है और उस फंड के लिए आम लोगों को अधिक से अधिक टैक्स देने के लिए तैयार रहना चाहिए. इतना ही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में ही सैम पित्रोदा ने 1984 में हुए सिख नरसंहार पर भी ऐसा बयान दे दिया था कि कांग्रेस की किरकिरी हो गई थी. सैम पित्रोदा ने कहा था- 1984 में हुआ तो हुआ. अब क्या है 1984 का. आपने पांच साल में क्या किया है, उसकी बात करिए.


राम मंदिर पर क्या बोले सैम?
इस पूरे बयान में हुआ तो हुआ ऐसी लाइन थी, जिसके लिए कांग्रेस को माफी मांगते नहीं बना, लेकिन सैम तो सैम हैं. वो बोलेंगे तो विवाद होगा ही होगा और 2019 के लोकसभा चुनाव के करीब चार साल बाद सैम ने राम मंदिर को लेकर ऐसा बोल दिया कि फिर से कांग्रेस नेता आंखें चुराने लगे. अमेरिका में राहुल गांधी की मौजूदगी में सैम पित्रोदा ने कहा था-मंदिरों से बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी समस्याओं का हल नहीं होगा. भारत में में बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा जैसी समस्याएं हैं. इनके बारे में कोई बात नहीं करता. हर कोई राम, हनुमान और मंदिर की बात करता है. मैंने पहले भी कहा है कि मंदिर बनाने से रोजगार नहीं मिलेगा.


अब सैम पित्रोदा के किस बयान से मच गया बवाल
अब जब लोकसभा चुनाव चल रहे हैं तो सैम पित्रोदा ने विरासत में मिली संपत्ति और उसपर अमेरिकी कानून का हवाला देकर जो राग छेड़ दिया है, उसने बीजेपी को बैठे-बिठाए एक ऐसा मुद्दा दे दिया है, जिसका मुकाबला करना अब कांग्रेस के लिए बेहद मुश्किल है. भले ही कांग्रेस के नेता खुद को सैम पित्रोदा के बयान से अलग कर लें, सच तो यही है कि सैम पित्रोदा ने कांग्रेस का नुकसान कर दिया है. अब ये नुकसान कितना बड़ा है और कांग्रेस को इसका क्या खामियाजा भुगतना पड़ेगा, पता चलेगा 4 जून को.


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