देशभर में मंदिर-मस्जिद को लेकर उठते विवादों के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पुणे में 'हिंदू सेवा महोत्सव' के दौरान बयान दिया जिसने सियासी गलियारों में एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है. मोहन भागवत ने अपने बयान में कहा, "मंदिर-मस्जिद के रोज नए विवाद निकालकर कोई नेता बनना चाहता है तो ऐसा नहीं होना चाहिए, हमें दुनिया को दिखाना है कि हम एक साथ रह सकते हैं."


एबीपी न्यूज़ के डिबेट शो 'महादंगल' में समाजवादी के प्रवक्ता अमीक जामेई ने आरएसएस चीफ के बयान पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि मोहन भागवत बूढ़े हो गए हैं और अब उनकी बात में कोई दम नहीं रहा.

 

'आरएसएस के शेर के पंजे में दम नहीं रहा'

अमीक जामेई ने कहा, "मोहन भागवत जी अब बूढ़े हो चुके हैं. आरएसएस का हमारा जो शेर हैं उसके पंजे में दम नहीं रह गया. उनके बात में कोई दम नहीं रहा. मोहन भागवत को बस इतना करना है कि वह पीएम मोदी को फोन करें और सांस्कृतिक मंत्रालय के जरिए ASI से कहें कि कोई भी बदतमीजी का कार्यक्रम देश में अयोध्या जी के बाद होना नहीं चाहिए."


अमीक जामेई ने कहा, "क्या ये सही नहीं है कि बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद ने कैंपेन चलाई कि अयोध्या तो झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है. मुझे नहीं मालूम कि वीएचपी और मोहन भागवत के बीच कैसा तालमेल हैं. लेकिन पूरा देश जानता है कि बीजेपी के सामने अब आरएसएस की क्रेडिबिलिटी बची नहीं है."


मोहन भागवत ने और क्या क्या कहा?



मोहन भागवन ने हाल के समय में देश के कई इलाकों में उठ रहे मंदिर और मस्जिद के विवाद पर भी बयान दिया है. उन्होंने कहा, "जब श्रद्धा स्थल के आदर की बात आती है तो राम मंदिर होना चाहिए और वो बना भी. वह हिंदुओं का पूजनीय स्थान है. ऐसा सोच कर बार-बार दुश्मनी के लिए ऐसे ही प्रकरण निकालने से कोई नेता नहीं बन सकता. ये नहीं होना चाहिए. आखिरकार हमें दुनिया को दिखाना है कि हम एक साथ रह सकते हैं."





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