Azam Khan: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान को शुक्रवार (24 मई) को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. अदालत से आजम परिवार को फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में राहत दी है. हाईकोर्ट ने आजम खान को मिली सात साल की सजा पर भी रोकने लगाने का फैसला दिया है. हालांकि, आजम की पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को मिली सजाओं पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन इनकी जमानत मंजूरी कर ली गई है.
रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में तीनों को सात साल की सजा सुनाई थी. इनके ऊपर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा था. बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने इस मामले में आजम परिवार के खिलाफ केस दर्ज करवाया था. इसके बाद मामला एमपी एमएलए कोर्ट में गया और तीनों को सजा मिली. फिर हाईकोर्ट में मामले को चुनौती दी गई और इस पर सुनवाई हुई. अदालत ने 14 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
क्या है पूरा मामला, जिसमें आजम खान को मिली राहत?
दरअसल, आजम खान और उनकी पत्नी तंजीम फातिमा ने 28 जून, 2012 को रामपुर नगरपालिका परिषद से अपने बेटे अब्दुल्ला आजम का बर्थ सर्टिफिकेट बनवाया. इसके बाद 21 जनवरी, 2015 को लखनऊ नगर निगम से भी एक और बर्थ सर्टिफिकेट बनवाया गया. आजम परिवार ने पहले बर्थ सर्टिफिकेट में अब्दुल्ला का जन्म स्थान रामपुर बताया, जबकि दूसरे में जिक्र किया गया कि उनके बेटे का जन्म लखनऊ के क्वीन मैरी हॉस्पिटल में हुआ है.
आजम खान और उनके परिवार पर आरोप था कि उन्होंने दोनों बर्थ सर्टिफिकेट का इस्तेमाल अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग कामों के लिए किया. रामपुर से बनवाए गए सर्टिफिकेट में बताया गया कि अब्दुल्ला आजम की डेट ऑफ बर्थ 1 जनवरी, 1993 है, जबकि लखनऊ से बने सर्टिफिकेट में जन्मतिथि 30 सितंबर, 1990 बताई गई. आजम परिवार पर आरोप था कि फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट के जरिए दो पासपोर्ट और दो पैन कार्ड भी बनवाए गए.
वहीं, बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने जनवरी, 2019 में आजम परिवार के ऊपर फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले में केस दर्ज करवाया था. इस केस में रामपुर पुलिस ने जांच पूरी की और फिर चार्जशीट दाखिल की. आजम खान, पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुल्ला ने फरवरी, 2020 में रामपुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया और फिर कोर्ट ने तीनों को जेल भेजा. पिछले साल रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट ने इस केस में तीनों को सात साल की सजा सुनाई थी.
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