Raising Legal Age of Marriage: केंद्र सरकार ने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का फैसला किया है. इस फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाजी का दौरा शुरू हो गया है. इसमें कई नेताओं की जुबान फिसल रही है. इस वक्त लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल है, जिसे इस प्रस्ताव के तहत बढ़ाकर 21 साल कर दिया जाएगा. अगर कानून बन जाता है तो फिर भारत उन चंद देशों में शुमार हो जाएगा, जहां महिलाओं की शादी की उम्र 21 साल है.
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीक उर रहमान के सुर में सुर मिलाते हुए अब पार्टी के एक और सांसद एसटी हसन ने भी आपत्तिजनक बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि लड़कियों की शादी की उम्र 21 नहीं 16-17 कर दी जानी चाहिए. एसटी हसन ने कहा कि अगर शादी में देर होगी तो वह पोर्नोग्राफी वाले वीडियो देखेंगे. गंदी फिल्में देखेंगे और यह आवारगी ही है. इसमें कोई फर्क नहीं है.
एसटी हसन ने ये भी कहा की शादी जल्दी होगी तो वो बच्चे जल्दी पैदा कर पाएंगी, क्योंकि फर्टिलिटी की उम्र 15 से 30 साल होती है. उन्होंने कहा कि ऐसे में शादी की उम्र में देरी नहीं होनी चाहिए. इससे पहले समाजवादी पार्टी के सांसद शफीक उर रहमान वर्क ने भी आपत्तिजनक बयान दिया. उन्होंने कहा कि शादी की उम्र बढ़ाने से लड़कियां ज्यादा आवारगी करेंगी.
शफीक उर रहमान वर्क के इस बयान पर कई नेताओं ने आपत्ति जताई है. एटा में राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि यह गुलामी करवाने वाले लोगों की मानसिकता है, जो हमेशा लड़कियों को गुलाम बनाए रखना चाहते हैं. मोदी सरकार संविधान के साथ से सबको बराबरी का अधिकार दे रही है. वहीं राज्यसभा सांसद सोनल मानसिंह ने एबीपी से बातचीत में कहा, "ऐसे लोगों को तो लड़कियां ही जवाब देंगी. यह उन लोगों की मानसिकता दर्शाता है."