Samajwadi Party Performance in Lok Sabha Elections: 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. बीजेपी और कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक पार्टियां संगठनात्मक सुधारों समेत कई तरह की रणनीतियां बनाने में लगी हैं. समाजवादी पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी वाली सूची में संशोधन किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक संशोधित सूची में सपा ने ब्राह्मण और ठाकुर वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं को प्राथमिकता दी है. लिस्ट में चार नाम जोड़े गए हैं. चार नेताओं- विनय तिवारी, ओम प्रकाश सिंह ठाकुर, अरविंद सिंह गोप और नीरज सक्सेना को सपा ने राष्ट्रीय सचिव बनाया है.


माना जा रहा है कि सपा और इसके अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इन वर्गों के वोट बैंक को बैलेंस करने के लिए यह संशोधन किया है ताकि 2024 के चुनाव में पार्टी को लाभ मिल सके. सपा में संगठनात्मक सुधारों की वाजिब वजह भी है क्यों कि चुनाव आयोग के विगत वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि साल दर साल लोकसभा में समाजवादी पार्टी का ग्राफ गिरा है. इन आंकड़ों से पता चलता है कि साइकिल (सपा का चुनाव चिन्ह) की स्पीड स्लो होती जा रही है. ऐसे में सपा के लिए स्पीड बूस्ट करने की अहम चुनौती हैं. पिछले आम चुनावों में उत्तर प्रदेश में कैसे गिरा सपा का ग्राफ, आइए जानते हैं. 


चार चुनावों में सीटें बढ़ीं तो तीन में हुईं धड़ाम


पिछले साथ वर्षों के आंकड़े देखें तो 1996 से लेकर 2004 तक यूपी में सपा की सीटों में उछाल दर्ज किया गया लेकिन अगले तीन आम चुनावों (2009, 2014 और 2019) में सपा की सीटों की संख्या तेजी से नीचे आई. 


सपा ने कब जीतीं कितनी सीटें?


चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में 1996 में सपा ने 16 सीटें (वोट प्रतिशत 20.8), 1998 में 20 सीटें (28.7%), 1999 में 26 सीटें (24%) और 2004 में 35 सीटें (26.7%) जीती थीं.


सीटों के मामले में इन वर्षों में सपा का ग्राफ बढ़ा लेकिन इसके बाद 2009 के चुनाव में राज्य में सपा ने 23 सीटें (23.2 %), 2014 में 5 सीटें (22.2%) और 2019 में 5 सीटें (17.9%) जीती थीं. ये ग्राफ पार्टी की सीटों और वोट शेयर दोनों में गिरावट बताता है. 


बता दें कि उत्तर में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं. पिछला लोकसभा चुनाव (2019) समाजवादी पार्टी ने यूपी में बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था.


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