आज मराठा नेता छत्रपती संभाजी राजे उर्फ छत्रपति संभाजी राजे भोसले का जन्म दिवस है. उनका जन्म 14 मई 1657 को मराठा राजघराने में हुआ था. महाराष्ट्र और उससे सटे राज्यों में संभाजी की जयंति बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. आज के दिन उनके गौरवशाली पलों को लोग याद कर उन्हें अपनी श्रद्धा के फूल अर्पित करते हैं.
संभाजी भोसले मराठा नेता शिवाजी महाराज के सबसे बड़े बेटे थे. अपने पिता के देहांत के बाद संभाजी मराठा राज्य के दूसरे शासक बने. संभाजी जब दो साल के थे तभी उनकी उनकी माता का देहांत हो गया. उनका उनकी माता के निधन के बाद दादी जिजाबाई ने उनकी देखरेख का जिम्मा संभाला. जिजाबाई की छत्रछाया में बड़े होकर ही संभाजी में उच्च संस्कार और मजबूत इरादों का संचार हुआ. संभाजी ने मराठा सेना का नेतृत्व पहली बार 1672 में कोलवान की जंग में किया. लड़ाई में उनके साथ पेशवा मोरोपंत पिंगले भी रहे. कोलवान की जंग में संभाजी विजेता बनकर उभरे. कई सालों तक उन्होंने चुनौतियों का सामना करते हुए शासन किया.
उन्होंने अपने शासन में मुगलिया सल्तनत से कई जंगें लड़ीं. इसके अलावा सिद्दी, मैसूर और पुर्तगालियों से भी मोर्चा लिया. कहा जाता है कि संभाजी को बहुत कम उम्र में ही राजनीति की गहरी समझ हो गई थी. हर साल संभाजी की जयंति पर मराठा क्षेत्र के लिए किए गए योगदान को याद किया जाता है. 11 मार्च 1689 को संभाजी की हत्या कर दी गई. मुगल बादशाह औरंगजेब ने सोचा था कि उनकी मौत के बाद मराठा साम्राज्य का अस्तित्व मिट जाएगा. मगर इसके उलट आपस में बंटे हुए मराठा सरदार इकट्ठा हो कर लड़ने लगे. कहा जाता है इस लड़ाई ने दक्कन पर कब्जा जमाने का औरंगज़ेब का सपना पूरा नहीं होने दिया. संभाजी महाराज की बहादुरी के चर्चे आज भी महाराष्ट्र के बच्चों की जुबान पर पाई जाती है.
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