संभल मस्जिद केस: 'कोई एक्शन नहीं होगा', 'निष्पक्ष रहना होगा', निचली अदालत और यूपी प्रशासन पर CJI ने और क्या-क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन से कहा है कि कोर्ट इस स्टेज पर कुछ नहीं कह रहा है और मामला लंबित रख रहे हैं, लेकिन वह चाहता है कि इलाके में शांति बनी रहे.
उत्तर प्रदेश के संभल जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुए हिंसा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (29 नवंबर, 2024) को ट्रायल कोर्ट को अहम निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले में कोई भी एक्शन ने ले, जब तक यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है. जामा मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट में सिविल जज के सर्वे के आदेश को चुनौती दी है. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद निचली अदालत कोई कार्यवाही करे.
कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस बात का ख्याल रखे कि इलाके में शांति और सद्भाव बना रहे. सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में रखने और इसे नहीं खोले जाने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह इस बात का ख्याल रखे कि संभल में शांति और सद्भाव बना रहे.
19 नवंबर को संभल कोर्ट के सिविल जज जूनियर डिविजन ने मस्जिद सर्वे का ऑर्डर पास किया था. 24 नवंबर को जब सर्वे करने टीम जामा मस्जिद पहुंची तो इलाके के लोगों और पुलिस में झड़प हो गई और हिंसा फैल गई, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई थी.
मामले की सुनवाई की शुरुआत में संभल जामा मस्जिद कमेटी की ओर से सीनियर एडवोकेट हुफेजा अहमदी ने निचली अदालत के आदेश की कॉपी सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने रखी. इस पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि हमने आदेश देखा. केस पर टिप्पणी नहीं करेंगे. मस्जिद कमेटी को अपने कानूनी विकल्पों के इस्तेमाल का मौका मिले. यह जिला कोर्ट या हाईकोर्ट कुछ भी हो सकता है.
मस्जिद कमेटी की चिंता पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
सीजेआई संजीव खन्ना की बेंच के सामने एडवोकेट अहमदी ने चिंता जाहिर की और कहा, 'पूरे देश में ऐसे 10 मामले पेंडिंग हैं, जिनमें ऐसा ही हुआ. पहले ही दिन सर्वे का आदेश दे दिया और फिर सर्वेक्षक भी नियुक्त कर दिया जाता है, प्लीज इसे रोकें.' इस पर सीजेआई खन्ना ने कहा कि हाईकोर्ट की परमिशन के बिना अब इस मामले में कुछ नहीं होगा और ट्रायल कोर्ट 8 जनवरी तक कोई कार्यवाही नहीं कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद कमेटी से कहा कि हमें लगता है कि याचिकाकर्ता सिविल जज के आदेश को चुनौती दे सकते हैं. उन्हें सीपीसी और संविधान के तहत ये हक है.
सीजेआई खन्ना ने योगी सरकार को दी क्या हिदायत?
सीजेआई खन्ना ने जिला प्रशासन की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि हम इस स्टेज पर कुछ कहना नहीं चाहते हैं और मामले को लंबित रखेंगे, लेकिन इस बात ध्यान रहे कि इलाके में हालात ठीक रहें, शांति और सद्भाव बना रहे. कोर्ट ने यह भी कहा कि हमें निष्पक्ष रहने की जरूरत है. कोर्ट ने कहा कि दोनों समुदायों के सदस्यों को शामिल कर एक शांति समिति गठित करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने मुस्लिम कमेटी से कहा कि याचिकाकर्ताओं को आदेश को चुनौती देने का हक है. यह ऑर्डर 41 के तहत है इसलिए आप प्रथम अपील नहीं कर सकते हैं.
संभल की शाही जामा मस्जिद की प्रबंधन समिति ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और जिला अदालत के 19 नवंबर के आदेश को चुनौती दी. उत्तर प्रदेश के संभल में 19 नवंबर को तब से तनाव है जब अदालत के आदेश पर शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया. सर्वेक्षण की मांग करने वाली याचिका में दावा किया गया था कि मस्जिद के स्थान पर पहले हरिहर मंदिर था.
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