संभल में रानी की बावड़ी की खुदाई कर रहे मजदूरों को क्यों सता रहा जान का खतरा? खुद ही बताई वजह
Rani ki Bawdi: रानी की बावड़ी खोद रहे मजदूरों को चार दिनों में केवल एक बार खाना दिया जा रहा है. जिससे मजदूरों को असुरक्षित और खतरनाक परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है.
Excavation of Rani ki Bawdi: संभल स्थित रानी की बावड़ी हर दिन नए रहस्यों को उजागर कर रही है. रविवार (22 दिसंबर) को चंदौसी क्षेत्र में खुदाई के दौरान इस प्राचीन बावड़ी से एक और नया गलियारा मिला था. रानी की बावड़ी की खुदाई में अब तक कुल 5 गलियारे सामने आ चुके हैं. हालांकि, खुदाई कार्य के दौरान मजदूरों की सुरक्षा और सुविधाओं की अनदेखी ने एक गंभीर स्थिति पैदा कर दी है.
खुदाई के दौरान मजदूरों को असुरक्षित और खतरनाक परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है. गहराई में काम करने के कारण मजदूरों को ऑक्सीजन की कमी, गिरता स्ट्रक्चर और जहरीली गैसों का सामना करना पड़ रहा है. यूपी तक की रिपोर्ट के अनुसार, मजदूरों को चार दिनों में केवल एक बार खाना दिया जा रहा है. पर्याप्त पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं, और रहने की व्यवस्था का अभाव मजदूरों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. मजदूर बिना हेलमेट, सेफ्टी हार्नेस और अन्य सुरक्षा उपकरणों के काम कर रहे हैं.
मजदूरों ने क्या कहा?
यूपी तक रिपोर्ट के अनुसार, मजदूरों का कहना है, "यहां पीने का पानी हम थैलियों से भर-भर के ला रहे हैं. पीने के लिए बोतलों में पानी आना चाहिए, लेकिन हमलोग थैलियों में पानी लाकर एक दूसरे को पीला रहे हैं, जिससे हम प्यास भगा सके. ऑक्सीजन यहां पर कम है और थोड़ी ऑक्सीजन कम होने की वजह से गर्मी हो रही है, सांस फूल सी रही है और हम काम कर रहे हैं. चार दिन हो गए मुझे काम करते, जिस तरह से ठंड का माहौल है, यहां चाय-पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है. चाय-पानी का तो छोड़ो पानी के लिए भी कोई नहीं पूछ रहा है".
बावड़ी के अंदर मौजूद है एक कुआं
बावड़ी में अब तक 8 सीढ़ियां भी सामने आई हैं जिसके सहारे मजदूर बावड़ी के भीतर गये हैं. ये खुदाई जेसीबी से न कर के मजदूरों से कराई जा रही है ताकि बावड़ी को कोई नुकसान न हो. माना जा रहा है कि बावड़ी के अंदर एक कुआं भी मौजूद हैं. बावड़ी की खुदाई का सारा काम चौंदौसी प्रशासन कर रहा है.
खुदाई में मिले अवशेष
यह प्राचीन बावड़ी एक महत्वपूर्ण जल संरक्षण संरचना है, जो भारत की स्थापत्य और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है. इसे किसी रानी द्वारा अपने राज्य में जल संकट को दूर करने के उद्देश्य से बनवाया गया था.अब तक प्रशासनिक टीम ने बावड़ी की सात फीट गहराई तक खुदाई की है. खुदाई के दौरान पांच गलियारे खोजे गए हैं
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