भोपाल: जबलपुर उच्च न्यायालय ने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा के खिलाफ भोपाल जिला न्यायालय में चल रहे अपराधिक प्रकरण को खारिज कर दिया है. यह मामला चुनाव आचार संहिता उल्लंघन को लेकर राजधानी की एम पी नगर पुलिस ने दर्ज किया था. हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायालय पुलिस की ओर से पेश चालान पर संज्ञान नहीं ले सकती.


पात्रा ने पुलिस की इस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इस पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जी पी गुप्ता की एकलपीठ ने भोपाल जिला न्यायालय में चल रहे अपराधिक प्रकरण को खारिज करने के आदेश जारी किये हैं. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि पुलिस द्वारा धारा 188 के तहत पेश किये गये चालान पर न्यायालय संज्ञान नहीं ले सकती है. न्यायालय सिर्फ लोक सेवक की तरफ से पेश किये गये आवेदन पर ही इस धारा के तहत संज्ञान ले सकती है. इससे पहले भी उच्च न्यायालय ने गत मार्च में श्री पात्रा को राहत देते हुए भोपाल जिला अदालत में जारी इस प्रकरण की सुनवाई आगे जारी रखने पर रोक लगाई थी.


यह है मामला
दरअसल, संबित पात्रा ने विधानसभा चुनाव के दौरान अक्टूबर 2018 में प्रेस काम्पलेक्स एमपी नगर स्थित नेशनल हेराल्ड बिल्डिंग के संबंध में इसी भवन के समक्ष एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. भोपाल के एमपी नगर पुलिस ने इस मामले में संज्ञान लेकर इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की. पुलिस ने भारतीय दंड विधान की धारा 188 के तहत भोपाल के चीफ ज्यूडिशियल मेजिस्ट्रेट की कोर्ट में चालान पेश किया. कोर्ट ने संबित पात्रा की हाजिरी के लिए उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया.


पुलिस को अधिकार नहीं
संबित पात्रा ने एफआईआर और न्यायालय की प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव और नम्रता अग्रवाल ने दलील दी थी कि पुलिस को इस मामले में संज्ञान लेने और एफआईआर दर्ज करने का अधिकार नहीं है. भारतीय दंड विधान की धारा 188 के तहत केवल वही अधिकारी न्यायालय में शिकायत दर्ज करा सकता है जिसके आदेश का उल्लंघन हुआ है.