Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से मना करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बयानबाजी शुरू हो गई है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS), विश्व हिंदू परिषद, मौलाना साजिद रशीदी और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसका स्वागत किया है. वहीं कांग्रेस ने कहा कि वो बाद में इस पर विस्तृत बयान देगी.


कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ''समलैंगिक विवाह और इससे संबंधित मुद्दों पर हम आज सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग और बंटे हुए फैसलों का अध्ययन कर रहे हैं. इस पर बाद में हम एक विस्तृत प्रतिक्रिया देंगे.''


उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस हमेशा से सभी नागरिकों की स्वतंत्रता, इच्छा, स्वाधीनता और अधिकारों की रक्षा के लिए उनके साथ खड़ी है. हम एक समावेशी पार्टी के रूप में, बिना किसी भेदभाव से भरे प्रक्रियाओं-न्यायिक, सामाजिक और राजनीतिक-में दृढ़ता से विश्वास करते हैं.






सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने क्या कहा?
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मामले में केंद्र के प्रमुख वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “मैं न्यायालय के फैसले का दिल से स्वागत करता हूं. मुझे प्रसन्नता है कि मेरी दलील स्वीकार कर ली गई है.’’


उन्होंने आगे कहा कि सभी चार फैसले हमारे देश के न्यायशास्त्र और बौद्धिक कवायद को अगले स्तर पर ले गए हैं. दुनिया में बहुत कम अदालतें हैं जहां इस स्तर की बौद्धिक और विद्वतापूर्ण न्यायिक कवायद की उम्मीद की जा सकती है. यह फैसला विभिन्न न्यायक्षेत्रों में पढ़ा जाएगा.’’


आरएसएस क्या बोली?
आरएसएस ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अंबेकर ने एक्स पर लिखा, ‘‘समलैंगिक विवाह पर उच्चतम न्यायालय का फैसला स्वागत योग्य है. हमारी लोकतांत्रिक संसदीय प्रणाली इससे संबंधित सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर सकती है और उचित निर्णय ले सकती है.’’






विश्व हिंदू परिषद ने क्या कहा?
विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने मंगलवार को कहा समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं देने का फैसला भी अच्छा कदम है.. वीएचपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, ‘‘हम इस बात से संतुष्ट हैं कि उच्चतम न्यायालय ने हिंदू, मुस्लिम और ईसाई अनुयायियों समेत सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुनाया है कि दो समलैंगिकों के बीच विवाह के रूप में रिश्ता पंजीकरण योग्य नहीं है. यह उनका मौलिक अधिकार नहीं है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार नहीं देना भी अच्छा कदम है.’’






जमीयत उलेमा ए हिंद ने क्या कहा?
जमीयत उलेमा ए हिंद के मौलाना महमूद मदनी गुट ने फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि अदालत ने विभिन्न सामाजिक, सरकारी और धार्मिक संगठनों के प्रस्तुत तर्कों की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद इस फैसले पर पहुंची है. 


मौलाना साजिद रशीदी क्या बोले?
मौलाना साजिद रशीदी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि समलैंगिक शादी की प्रथा पश्चिम से आई है. ये भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करती. 


असदुद्दीन ओवैसी ने क्या तर्क दिए?
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया. उन्होंने एक्स पर लिखा कि कोर्ट पर ये तय करना निर्भर नहीं है कि कौन किस कानून के तहत शादी करेंगे.


उन्होंने आगे कहा कि मेरा विश्वास है कि विवाह केवल एक पुरुष और एक महिला के बीच होता है. यह 377 के मामले की तरह गैर-अपराधीकरण का सवाल नहीं है, यह शादी की मान्यता के बारे में है. 


ओवैसी ने कहा, ''मैं इस बात से चिंतित हूं कि बेंच ने टिप्पणी की कि ट्रांसजेंडर लोग स्पेशल मैरिज एक्ट (SMA) और पर्सनल लॉ के तहत शादी कर सकते हैं. जहां तक इस्लाम का सवाल है तो यह सही व्याख्या नहीं है क्योंकि इस्लाम दो बायोलॉजिकल मेल या दो बायोलॉजिकल फीमेल के बीच विवाह को मान्यता नहीं देता है.''






सुप्रीम कोर्ट क्या बोला?
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने 3:2 के बहुमत से मंगलवार को गोद लिए जाने से जुड़े एक नियम को बरकरार रखा. इसमें अविवाहित और समलैंगिक जोड़ों के बच्चे गोद लेने पर रोक है. 


पीठ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से सर्वसम्मति से इनकार करते हुए कहा कि कानून में बदलाव करना संसद का काम है.  पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा शामिल थे.


इनपुट भाषा से भी. 


 ये भी पढ़ें- Same Sex Marriage: 'बुरा लगा, लेकिन...', समलैंगिक विवाह पर SC के फैसले को लेकर मुख्य याचिकाकर्ता और एक्टविस्ट ने क्या कहा?