Same Sex Marriage Hearing Highlights: 'यहां हो रही बातों के लिए बाहर किया जा रहा ट्रोल फिर भी...', समलैंगिक शादी पर सुनवाई के दौरान बोले CJI
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को समलैंगिक विवाह पर लगातार तीसरे दिन सुनवाई हुई. सीजेआई ने याचिकाकर्ताओं की ओर से सोमवार को दलीलें पूरी करने की बात कही.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा किया चिकाकर्ताओं की ओर से किसी भी मामले में सोमवार को दलीलें बंद की जाएंगी और वकीलों से समय के बंटवारे पर आपस में चर्चा करने को कहा. आज के लिए बहस खत्म.
CJI डीवाई चंद्रचूड़: हमें बताएं कि आप क्या राहत चाहते हैं.
विश्वनाथन: हमने एसएमए को चुनौती दी है क्योंकि यह विषमलैंगिक के अलावा अन्य विवाहों को मान्यता नहीं देता है. केवल विशेष विवाह अधिनियम में पति, पत्नी या "जीवनसाथी" को जोड़ने की आवश्यकता है. उन्हें (सरकार को) इसे तैयार करने की जरूरत है.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लोग इस धारणा से दूर जा रहे हैं कि आपको एक लड़का होना चाहिए. विश्वनाथन अमेरिकी अदालतों के फैसलों का हवाला देते हैं.
CJI डी वाई चंद्रचूड़: सिर्फ विषमलैंगिक जोड़ों के मामले में अब शिक्षा के प्रसार के साथ, आधुनिक युग का दबाव बढ़ रहा है, जोड़े या तो निःसंतान हैं या एकल बच्चे वाले जोड़े हैं. चीन जैसे देश भी जनसांख्यिकीय लाभांश पर हार रहे हैं. युवा, उच्च शिक्षित बच्चे नहीं चाहते - यह पसंद की बात है.
जस्टिस भट: यह एक प्रवेश द्वार है. यह बहुत सारी संभावनाएं खोलता है, इतने सारे अधिकार-जिनका आप आनंद ले सकते हैं. जिनका आप हिस्सा नहीं हो सकते, आप नहीं हैं.
विश्वनाथन: लेकिन चाइस उपलब्ध होनी चाहिए.
विश्वनाथन: एलजीबीटीक्यू माता-पिता बच्चों को पालने के लिए उतने ही योग्य हैं जितने विषमलैंगिक माता-पिता.
CJI डी वाई चंद्रचूड़: समलैंगिक जोड़े शादी के समान लाभ चाहते हैं. सहवास और विवाह प्रदान करने वाले लाभों की एक पूरी श्रृंखला है.
CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि और क्या होता है जब एक विषमलैंगिक जोड़ा होता है और बच्चा घरेलू हिंसा देखता है? क्या वह बच्चा सामान्य माहौल में बड़ा होगा? एक पिता के शराब पीने, घर आने और हर रात मां को पीटने और शराब के लिए पैसे मांगने का क्या असर होगा. उन्होंने कहा कि हम जो बातें कर रहे हैं उसको लेकर बाहर ट्रोल किया जाता है. दूसरा ये कि हम ट्रोल होने के खतरों के बीच यहां बातें कर रहे हैं.
वकील रामचंद्रन ने कहा कि सेंट्रल एडॉप्शन रेगुलेशन अथॉरिटी के नियम किसी एक सदस्य को तब तक गोद लेने की अनुमति नहीं देते जब तक कि वे शादीशुदा न हों. बहुत पहले हमारे देश में कानून था- केवल बच्चे के कल्याण की आवश्यकता है. यदि इसे लागू किया जाता है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह विषमलैंगिक युगल है या समलैंगिक युगल. इन सभी अध्ययनों और सबूतों से पता चलता है कि समलैंगिक जोड़े बच्चों को पालने के लिए विषमलैंगिक जोड़ों के समान ही उपयुक्त हैं.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, हम समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करके, हम स्वीकार करते हैं कि समलैंगिक संबंध केवल शारीरिक संबंध नहीं हैं बल्कि एक स्थिर, भावनात्मक संबंध से कुछ अधिक बढ़कर है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, हमने इससे पहले भी समलैंगिकता को अपराध से बाहर किया है, हमने न केवल एक ही लिंग वयस्कों के बीच संबंधों को मान्यता दी है बल्कि हमने यह भी माना है कि जो लोग समान लिंग के हैं वे भी स्थिर संबंधों में होंगे जोकि एक विवाह जैसा रिश्ता है.
वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ अभिषेक मनु सिंघवी और अधिवक्ता केवी विश्वनाथन ने समलैंगिक विवाह पर अपनी दलीलें पेश कीं.
नीदरलैंड 2001 में विवाह समानता अधिकार को अपनाने वाला दुनिया का पहला देश था
Same sex marriage SC hearing LIVE: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते समय भारत सरकार को भी एक पक्ष बनाया और इस संबंध में सवाल पूछा. केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं को लेकर असहजता जताई.
केंद्र सरकार ने कहा, समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से भारतीय समाज में एक प्राकृतिक संतुलन और सामाजिक मूल्यों का पूरी तरह से नुकसान होगा क्योंकि भारत में परिवार से तात्पर्य एक महिला-पुरुष संबंध से है, न कि महिला-महिला और पुरुष-पुरुष के संबंध से.
लगभग पांच महीने पहले, दो समलैंगिक जोड़ों ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इसके बाद कोर्ट ने इससे जुड़े सभी पक्षों को नोटिस जारी किया और जनवरी 2023 में अलग-अलग हाईकोर्ट्स में लंबित सभी मामलों को जोड़ करके इसको संविधान पीठ के सामने पेश करने का आदेश दिया.
समान लिंग के दो व्यक्तियों के आपस में होने वाले विवाह को ही समलैंगिक विवाह कहते हैं. यानी दो पुरुषों, या दो महिलाओं के बीच में होने वाले सामाजिक गठबंधन यानी शादी को ही समलैंगिक विवाह का दर्जा दिया गया है, हालांकि भारत में समलैंगिक विवाह को कानून मंजूरी नहीं दी गई है. इसलिए इसी के संबंध में कानून बनाने और समान लिंग के दो दंपत्तियों को सामाजिक सुरक्षा दिए जाने को लेकर भारत की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
बैकग्राउंड
Same Sex Marriage Live Updates: देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज समलैंगिक विवाह पर सुनवाई का तीसरा दिन है. समलैंगिक विवाह को लेकर कानून बनाए जाने की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वह भी इस देश के नागरिक हैं, और उनको भी सम्मान और समानता के साथ जीवन जीने का अधिकार है.
केंद्र सरकार और मुस्लिम लॉ बोर्ड इस सुनवाई का विरोध कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने सुनवाई के पहले दिन सुप्रीम कोर्ट से कहा, कानून बनाना संसद का काम है, कोर्ट इस केस को नहीं सुन सकती है लेकिन अदालत ने कहा, पहले हमें याचिकाकर्ता को सुनने तो दें. जिसके बाद मामले की सुनवाई शुरू हुई जिसका मुस्लिम लॉ बोर्ड और केंद्र सरकार ने कड़ा विरोध किया.
सुनवाई के दूसरे दिन, केंद्र सरकार ने कोर्ट से आग्रह किया, अगर वह इस मामले को सुनना ही चाहती है, तो देश के राजनीतिक, सामाजिक और भौगोलिक परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए वह देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पहले उनका पक्ष सुने इसके बाद वह आगे बढ़े, हालांकि कोर्ट ने मामले की सुनवाई जारी रखी.
याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने इस मामले पर अदालत की संवैधानिक बेंच के सामने अपनी दलीले रखीं. इन दलीलों में रोहतगी ने अदालत को इस कानून को क्यों मान्यता देनी चाहिए, इस कानून के बनने से क्या फायदे होंगे इसके बारे में जानकारी दी. तो वहीं एक स्वतंत्र याचिकाकर्ता के पक्ष की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने भी अपनी बातें अदालत के सामने रखी.
वहीं केंद्र सरकार ने कहा, यह बहुत ही एलीट संवाद है, देश इस समय कई मूलभूत बुनियादी सुविधाओं और बाकी समस्याओं से जूझ रहा है. इससे देश के सामाजिक और राजनीतिक ढ़ांचे पर बड़ा फर्क पड़ सकता है. देश के महाधिवक्ता यानी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा, पांच लोग कितने भी बुद्धिमान क्यों न हो लेकिन वह यह तय नहीं कर सकते कि देश के सुदूर कोने में बैठा एक किसान या व्यापारी क्या सोचता है?
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