Same Sex Marriage Live: समलैंगिक विवाह मामले में आज की सुनवाई खत्म, केंद्र ने राज्यों को पक्ष बनाने के लिए दाखिल किया हलफनामा

समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई खत्म हो गई है. केंद्र सरकार ने कहा कि इस विषय पर देश के हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की राय ली जानी चाहिए. कल भी सुनवाई जारी रहेगी.

ABP Live Last Updated: 19 Apr 2023 04:13 PM
Same Sex Marriage Live: समलैंगिक विवाह मामले में आज की सुनवाई खत्म

समलैंगिक विवाह मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज खत्म, सुनवाई कल भी जारी रहेगी. समलैंगिक विवाह मामले में केंद्र ने एक नया हलफनामा दायर किया है और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक पक्ष बनाने का आग्रह किया है.

Same Sex Marriage Live: सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी

सिंघवी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में या अपनी सभी अभिव्यक्तियों में अपनी लैंगिक पहचान को व्यक्त करने का अधिकार शामिल है. अधिकार पर इस आधार पर सवाल उठाया जा रहा है कि विषमलैंगिकों के पास जो अधिकार हैं, गैर-विषमलैंगिक जोड़ों के पास नहीं हैं.

Same Sex Marriage Live: सिंघवी ने दी ये दलील

सिंघवी ने कहा कि वे जो कह रहे हैं वह यह है कि चूंकि भारत सरकार ने विवाह को पुरुष और महिला के बीच विवाह के रूप में परिभाषित किया है, आप गलत हैं.

Same Sex Marriage Live: शहरी एलीट के मुद्दे पर बहस जारी

सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन ने कहा कि मेरी मुवक्किल ट्रांसजेंडर हैं, परिवार द्वारा त्याग दिया गया था, सड़कों पर भीख मांगी थी, और आज वह केपीएमजी में निदेशक हैं. उनके लिए एक "शहरी अभिजात्य" ब्रांडेड होना अनुग्रह की पूर्ण कमी दर्शाता है. आज वह एक्ट के तहत सरकार द्वारा नामित ट्रांसजेंडर काउंसिल की सदस्य हैं.

Same Sex Marriage Live: सरकार की ओर से कोई आंकड़ा नहीं आया- CJI

CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये अपनी अभिव्यक्तियों में अधिक शहरी हो सकता है क्योंकि शहरी क्षेत्रों में अधिक लोग बाहर आ रहे हैं. सरकार की ओर से कोई आंकड़ा नहीं निकल रहा है कि यह शहरी है या कुछ और.

Same Sex Marriage Live: सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी

सिंघवी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण इस वर्ग का भेदभावपूर्ण बहिष्कार केवल सेक्स और यौन अभिविन्यास पर है. CJI डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि तो आप कह रहे हैं, राज्य किसी व्यक्ति के साथ उस विशेषता के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है जिस पर किसी व्यक्ति का कोई नियंत्रण नहीं है. सिंघवी ने कहा बिल्कुल.

Same Sex Marriage Live: जस्टिस भट ने क्या कहा?

जस्टिस भट ने कहा कि कुछ चीजें हैं जो बिना किसी बाधा के की जा सकती हैं. आपको पहचानना होगा और हमें बताना होगा. सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि इसमें, मुझे संदेह है कि जिस क्षण यह अदालत विवाह की परिभाषा खोलती है, उन चिंताओं का समाधान हो जाता है. क्योंकि नियमित रूप से बीमा कंपनियों और बैंकों को बस यही चिंता होती है- कि आपको शादी करनी है.

Same Sex Marriage Live: बीमा को लेकर दी जा रही दलील

सीनियर एडवोकेट मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि माई लॉर्ड्स शादी को कैसे परिभाषित करते हैं, वे उन चिंताओं को दूर करेंगे. इसलिए कोई विशिष्ट आरबीआई दिशानिर्देश नहीं है. धारणा यह है कि यदि आप पति-पत्नी हैं, तो आपके पास वह संयुक्त बैंक खाता हो सकता है. इसी तरह, बीमा के लिए है.

Same Sex Marriage Live: जस्टिस भट ने कही ये बात

जस्टिस भट ने कहा कि यहां एक प्रश्न है- उदाहरण के लिए बीमा लें, बीमा कानून अपने आप में विनियमन का विषय है. तो क्या हमारे पास IRDA के नियम हैं या ये मानक नीतियां हैं जो स्वीकृत हैं. कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो अन्य क्षेत्रों में प्रवेश किए बिना तुरंत की जा सकती हैं. यदि पितृ अधिनियमन में कोई निषेध न हो तो यह और भी आसान हो जाता है.

Same Sex Marriage Live: गैर-विषमलैंगिक भी इस अधिकार को डिजर्व करते हैं

Same Sex Marriage Live:  सिंघवी ने कहा, जो लोग शादी करना चाहते हैं, वे इस रिश्ते को एक सामुदायिक और सामाजिक मान्यता देना चाहते हैं. लेकिन मैं एसजी के साथ सहमत नहीं हो सकता हूं जिसमें वह यह कहना चाह रहे हैं कि गैर-विषमलैंगिक इसके लायक नहीं है. 


सर, गैर-विषमलैंगिक भी इसे चाहते हैं और इसको डिजर्व करते हैं. 

Same Sex Marriage Live: क्या सरकार सिर्फ एक तरह की शादियां चाहती है?

Same Sex Marriage Live: अभिषेक मनु सिंघवी ने बेंच से पूछा, समलैंगिक शादियों से सरकार क्यों मना कर रही है? क्या वह सिर्फ परंपरागत शादियां ही चाहते हैं. अगर हां, तो फिर वह अंतर्रजातीय शादियों, अंतर्रधार्मिक शादियों के बारे में क्या विचार रखते हैं.


 

लंच के बाद सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई शुरू

लंच के बाद सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई शुरू, वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी समलैंगिक विवाह पर अपना पक्ष रख रहे हैं. 

Same Sex Marriage Live Updates: अभिषेक मनु सिंघवी अदालत के सामने समलैंगिक विवाह पर पक्ष रख रहे हैं.

Same Sex Marriage Live Updates: समलैंगिक विवाह पर स्वीकृति देने की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी बेंच के सामने अपना पक्ष रख रहे हैं. उन्होंने कहा समलैंगिक विवाह इतने सारे पहलू शामिल हैं कि समान लिंग विवाह की मान्यता को एक ओपन नहीं छोड़ा जा सकता है. 

Same Sex Marriage Live: जस्टिस भट- क्या आप सिर्फ वो चुन रहे हैं जो आपको सूट करता है?

Same Sex Marriage Live: याचिकाकर्ता पक्ष से जस्टिस भट ने पूछा, एक मुख्य भाग के लिए आप चाहते हैं कि यहां पर जेंडर न्यूट्रल हो जाए लेकिन भाग सी के लिए आप पुरुष और महिला में भेद को बनाए रखना चाहते हैं. बेंच ने रोहतगी से पूछा, आप एक तर्क में महिला और पुरुष में भेद की बात कर रहे हैं, और एक तर्क में जेंडर न्यूट्रल बनना चाह रहे हैं, आखिर आप चाहते क्या हैं? क्या आप सिर्फ उन बातों को महत्व दे रहे हैं जो सिर्फ आपको सूट कर रहा है.


इसके बाद मुकुल रोहतगी स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों को पढ़ने लगे. 

Same Sex Marriage live: 'मैं कोई असैंवधानिक बात नही कर रहा हूं'

Same Sex Marriage live: याचिकाकर्ता पक्ष के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, मैं आपसे कोई असंवैधानिक बात नहीं कर रहा हूं. 

Same Sex Marriage Live: 'मैं कोई नई बात नहीं कर रहा हूं, मेरे पास वजहें पहले से मौजूद'

Same Sex Marriage Live: याचिकाकर्ता के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, मैं बेंच से किसी नई बात के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, खजुराहो और हमारी पुरानी पुस्तकों में पहले से ही इसका उल्लेख मौजूद है. लेकिन हम इस प्रक्रिया को अनाआपराधिक (डिक्रिमनालाईज) होकर ही रह गया. 

'मौलिक अधिकार प्रभावित होने पर हमें इस अदालत में आने का अधिकार'

मुकुल रोहतगी ने कहा, हमारे मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है, और अगर किसी के मौलिक अधिकार प्रभावित होता है, तो उसे इस अदालत में आने का अधिकार है.

'आप जो कह रहे हैं वह दोधारी तलवार है'

जस्टिस कौल ने मुकुल रोहतगी को बीच में टोकते हुए कहा, आप जो कह रहे हैं वह दोधारी तलवार है. क्योंकि जब आप कहते हैं कि भले ही समाज तैयार नहीं है लेकिन कानून को यहां पर अपना स्टैंड लेना चाहिए, इस पर दूसरा पक्ष यह तर्क दे सकता है कि संसद इस संबंध में कानून बना देगी जब समाज तैयार होगा. 


इस पर जवाब देते हुए रोहतगी ने कहा, मेरे पास संसद में बोलने की योग्यता नहीं है, यहां पर हैं, देश में केवल आपके पास इस बात को सुनने का अधिकार है, इसलिए मैं आपके पास आया हूं. 

'मेरे पास संसद में बोलने का अधिकार नहीं है, यहां है'

याचिकाकर्ता पक्ष के वकील ने कहा, कभी कानून नेतृत्व करता है और कभी समाज नेतृत्व करता है, हाईकोर्ट के पास भी ये अधिकार नहीं है कि वह मेरी बात सुनें, सिर्फ आपके पास ये अधिकार है कि आप मेरी बात को सुनेंगे. रोहतगी ने कहा, मेरे पास संसद में बोलने का अधिकार नहीं है, इसलिए मैं आपके सामने बोल रहा हूं, क्योंकि आप मेरी बात को सुन रहे हैं. 

'समाज एक दिन कानून को मान ही लेता है'

वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा, समाज एक दिन कानून को मान ही लेता है. वो स्वीकार कर लेता है कानून क्या है? उन्होंने पीठ से कहा, जैसे इस समाज ने विधवा पुनर्विवाह को मान लिया वैसे ही एक दिन ये समाज इस समलैंगिक विवाह के कानून को मान लेगा.


यहां कानून को तत्परता के साथ काम करने की जरूरत है और यहां हमें समाज पर जोर देने की जरूरत है क्योंकि संविधान ऐसा कहता है और इस अदालत का नैतिक अधिकार है कि इस देश में हमें भी बराबरी का अधिकार मिले 

याचिकाकर्ता पक्ष से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पक्ष रख रहे हैं

समलैंगिक विवाह को लेकर सुप्रीम कोर्ट में संविधान की पीठ के सामने वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से समलैंगिक विवाह को लेकर अपनी दलीलें दे रहे हैं. 

सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन समलैंगिक विवाह को लेकर सुनवाई शुरू

सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन समलैंगिक विवाह को लेकर पांच जजों CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ के सामने सुनवाई शुरू हो गई है. 

बैकग्राउंड

Same Sex Marriage Hearing: समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी, केंद्र सरकार ने कहा इस मामले में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुना जाना चाहिए. याचिकाकर्ता पक्ष के वकील मुकुल रोहतगी ने कड़ा विरोध किया. कहा- केंद्रीय कानून को चुनौती दी गई है. राज्यों को नोटिस जारी करना ज़रूरी नहीं. केंद्र ने सभी राज्यों को भी चिट्ठी लिख कर 10 दिन में अपनी राय बताने के लिए कहा है. 


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता पक्ष के वकील मुकुल रोहतगी अपनी दलीलों को रख चुके हैं. अब लंच के बाद कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा. 


केंद्र सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई में सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को पक्ष बनाया जाए. शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में केंद्र ने कहा कि उसने 18 अप्रैल को सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर इन याचिकाओं में उठाए गए ‘मौलिक मुद्दों’ पर उनकी टिप्पणियां और राय आमंत्रित की.


केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से आग्रह किया कि राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को सुनवाई में पक्ष बनाया जाए. इस पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति एस आर भट, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल हैं. पीठ ने समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर बुधवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई की.


केंद्र की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है, इसलिए, विनम्रतापूर्वक अनुरोध किया जाता है कि सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को मौजूदा कार्यवाही में पक्षकार बनाया जाए, उनके संबंधित रुख को रिकॉर्ड में लिया जाए तथा भारत संघ को राज्यों के साथ परामर्श प्रक्रिया को समाप्त करने, उनके विचार/आशंकाएं प्राप्त करने, उन्हें संकलित करने तथा इस अदालत के समक्ष रिकॉर्ड पर रखने की अनुमति दी जाए, और उसके बाद ही वर्तमान मुद्दे पर कोई निर्णय लिया जाए.

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