Supreme Court: समलैंगिक विवाह की सुनवाई के दौरान बोली याचिकाकर्ता की वकील, कहा- 'शादी एक जादुई शब्द है'
समलैंगिक विवाह की सुनवाई के दौरान बोली याचिकाकर्ता की वकील गीता लूथरा ने समलैंगिक शादी को लेकर संविधान पीठ के सामने कई जोरदार दलीलें रखीं.
![Supreme Court: समलैंगिक विवाह की सुनवाई के दौरान बोली याचिकाकर्ता की वकील, कहा- 'शादी एक जादुई शब्द है' Same sex Marriage hearing supreme court remarks on same sex marriage Supreme Court: समलैंगिक विवाह की सुनवाई के दौरान बोली याचिकाकर्ता की वकील, कहा- 'शादी एक जादुई शब्द है'](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/04/21/9c834fe9d5540e7840ae9d0c6405fa7b1682061884371340_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Same Sex Marriage Hearing: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर मंगलवार (25 अप्रैल) को सुनवाई के चौथे दिन सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने मामले पर कई टिप्पणियां की. इसी दौरान याचिकाकर्ता की वकील गीता लूथरा ने कहा, शादी एक जादुई शब्द है.
उन्होंने यह टिप्पणी तब की जब वह अपनी बात समाप्त कर रहीं थी, उन्होंने पीठ से कहा, शादी एक जादुई शब्द है और इस जादू का असर पूरी दुनिया में है. उन्होंने कहा, इसका हमारे सम्मान और जीवन जीने से जुड़े मामलों से सीधा संबंध हैं.
'जैसे महिलाओं से छीन लिया जाए मतदान का अधिकार'
याचिकाकर्ता की तरफ से अपना पक्ष रखते हुए उनकी वकील गीता लूथरा ने कहा, समलैंगिक विवाह करने वालों को शादी करने से वंचित करना ठीक वैसा ही है जैसे महिलाओं से उनके मतदान का अधिकार छीन लिया जाए. उन्होंने कहा, यह ऐसा ही है जैसा पहले कभी लिंग के आधार पर महिलाओं को वोट देने के अधिकारों को छीन लिया जाता था.
दो जजों ने सुनवाई में लिया वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हिस्सा
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, हमारे पास आज सुनवाई के लिए हाइब्रिड संविधान पीठ होगी क्योंकि न्यायमूर्ति कौल बीमारी से उबर रहे हैं. न्यायमूर्ति भट शुक्रवार को कोविड-19 से संक्रमित पाए गए. इसलिए वे वर्चुअल तरीके से शामिल हुए हैं. उन्होंने न्यायमूर्ति कौल से यह भी कहा कि अगर वह चाहें तो पीठ बीच में संक्षिप्त विराम ले लेगी ताकि वह दिन भर चलने वाली सुनवाई के दौरान कुछ राहत महसूस कर लें.
न्यायमूर्ति भट ने कहा कि उन्होंने देखा है कि संविधान की मूल संरचना की महत्वपूर्ण अवधारणा देने वाले ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामले में पूरे फैसले समेत दस्तावेजों के चार से पांच खंड मामले में दाखिल किए गए है.
उच्चतम न्यायालय ने इस मामले पर 20 अप्रैल को सुनवाई में कहा था कि सहमति से बने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के बाद वह अगले कदम के रूप में 'शादी की विकसित होती धारणा' को फिर से परिभाषित कर सकता है. पीठ इस दलील से सहमत नहीं थी कि विषम लैंगिकों के विपरीत समलैंगिक जोड़े अपने बच्चों की उचित देखभाल नहीं कर सकते.
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)