Same Sex Marriage: सेम सेक्स मैरिज पर आज आएगा फैसला, इसमें क्या हैं दिक्कतें और किन देशों में है वैध? जानें सबकुछ
Same Sex Marriage Case: भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग उठ रही है. सुप्रीम कोर्ट ऐसी मांग वाली 18 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
![Same Sex Marriage: सेम सेक्स मैरिज पर आज आएगा फैसला, इसमें क्या हैं दिक्कतें और किन देशों में है वैध? जानें सबकुछ Same Sex Marriage In India Problems Which Countries Legalized It Explained Same Sex Marriage: सेम सेक्स मैरिज पर आज आएगा फैसला, इसमें क्या हैं दिक्कतें और किन देशों में है वैध? जानें सबकुछ](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/10/16/93cdb10fdebe9b1f78b70140d7915f6c1697475490847124_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Same Sex Marriage In India: सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज (मंगलवार, 17 अक्टूबर) फैसला सुनाएगा. भारत सरकार ने समलैंगिकों के बीच विवाह का विरोध किया है. केंद्र सरकार समलैंगिक विवाह को पश्चिमी विचार और शहरी सोच मानती है. सरकार का कहना है कि सेम सेक्स मैरिज की मांग शहरों में रहने वाले एलीट क्लास के लोगों की है.
दुनिया के कुछ देशों में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी जा चुकी है. भारत में भी इसे वैध करने की मांग लंबे समय से उठ रही है, लेकिन देश के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने और चली आ रही मान्यताओं के चलते इस मुद्दे पर सटीक प्रतिक्रिया देने में बड़ी आबादी खुद को असहज पाती है.
भारत में 2018 में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था. अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी है कि क्या ऐसे जोड़ों को शादी का अधिकार मिलेगा या नहीं? कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज के संबंध में कम से कम 18 याचिकाएं दाखिल की गई थीं.
अप्रैल से शीर्ष अदालत इस मामले की सुनवाई कर रही है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने दस दिन की सुनवाई के बाद इसी साल 11 मई को मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. आखिर सेम सेक्स मैरिज में भारत में क्या दिक्कत है और किन देशों में यह वैध है, आइये जानते हैं सबकुछ.
एलजीबीटीक्यू लोगों को बच्चा गोद लेने और विरासत संबंधी अधिकारों में दिक्कत
वर्तमान में एलजीबीटीक्यू (लेस्बियन, गे, बाईसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीयर) समुदाय से आने वाले लोगों के पास विवाह का अधिकार न होना उन्हें बच्चा गोद लेने, बीमा और विरासत जैसे मुद्दों के संबंध में शादी से जुड़े कुछ कानूनी लाभों तक पहुंच से रोकता है.
समलैंगिक जोड़ा अगर किसी बच्चे को गोद लेता है तो मौजूदा कानून के मुताबिक उनमें से किसी एक को माता-पिता के रूप में मान्यता दी जाती है, जो उन मुद्दों को प्रभावित करता है. जैसे कि उनकी ओर से बच्चे के चिकित्सा संबंधी फैसले कौन ले सकता है.
कौन ले सकता है बच्चा गोद?
अब तक भारत में विवाहित जोड़े, सिंगल महिला या सिंगल पुरुष बच्चे को गोद ले सकता है. विवाहित जोड़े अपनी शादी के कम से कम दो साल बाद बच्चे को गोद ले सकते हैं. सिंगल महिला भी या सिंगल पुरुष की ओर से बच्चा गोद लिए जाने के नियम अलग-अलग हैं. सिंगल महिला लड़का या लड़की किसी को भी गोद ले सकती है जबकि पुरुष केवल लड़के को गोद ले सकता है.
भारत में सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया की निगरानी और इस पर नियंत्रण करती है जोकि महिला और बाल विकास मंत्रालय का हिस्सा है. भारत में बच्चा गोद लेने के लिए दो कानून हैं, पहला- हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण पोषण अधिनियम 1956 और दूसरा- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015.
समलैंगिक विवाह वैध हुआ तो मिल सकते हैं ये अधिकार
जानकार मानते हैं कि अगर भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलती है तो जिन कागजातों पर जीवनसाथी का जिक्र होगा, वहां उन्हें पूरे अधिकार मिल सकते हैं. ऐसे में एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी से आने वालों को बच्चा गोद लेने, विरासत संबंधी अधिकार, पेंशन और ग्रेच्यूटी से संबंधित अधिकार मिल सकेंगे.
जहां तक बीमा का सवाल है तो समलैंगिकता के अपराध की श्रेणी से हटने के बाद देश में कई बीमा कंपनियों ने LGBTQ के लिए स्वास्थ्य बीमा समेत अन्य बीमाओं की सुविधा उपलब्ध कराई है. अगर समलैंगिकों को विवाह का अधिकार मिलता है तो उनके लिए सभी तरह के बीमा अपग्रेड हो सकेंगे.
भारत में ब्रिटिश सरकार ने समलैंगिक शारीरिक संबंधों को किया था अपराध घोषित
ब्रिटिश राज के दौरान 1860 में शुरू की गई दंड संहिता में समलैंगिक लोगों के बीच शारीरिक संबंधों को अपराध घोषित किया गया था और विवाह का अधिकार विषमलैंगिक जोड़ों (पुरुष और महिला) को दिया गया था. ब्रिटिश भारत की दंड संहिता के दोनों प्रावधान भारत की आजादी के बाद भी लागू रहे. हालांकि, इंग्लैंड में 1967 और वेल्स में 2014 में सेम सेक्स शादी को मान्यता दे दी गई.
सेम सैक्स मैरिज में अभी कितनी सजा का प्रावधान?
समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा लिया गया है लेकिन भारतीय दंड संहिता की धारा 377 कहती है कि प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ किसी पुरुष, महिला या जीवजंतु से शारीरिक संबंध बनाया जाता है तो दोषी को आजीवन कारावास, किसी एक अवधि के लिए कारावास (जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है) दिया जा सकता है, साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
ऐसे में माना जा सकता है कि सेम सेक्स मैरिज के मामले में फिलहाल लगभग 10 साल की सजा हो सकती है. हालांकि, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 के उस हिस्से को रद्द कर दिया था समलैंगिकता को अपराध मानती थी.
एक अनुमान के मुताबिक दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में एलजीबीटीक्यू समुदाय की आबादी सबसे ज्यादा है. अगर समलैंगिक विवाह को मान्यता मिलती है तो एक बड़े वर्ग के लिए यह राहत की बात होगी.
किन देशों में वैध है समलैंगिक विवाह?
अमेरिका में 26 जून 2015 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद समलैंगिक विवाह को देशभर में वैध कर दिया गया था.
जर्मनी में 1 अक्टूबर 2017 से समलैंगिक विवाह वैध है.
यूनाइटेड किंगडम के सभी हिस्सों में समलैंगिक विवाह वैध है. इसे मार्च 2014 से इंग्लैंड और वेल्स में, दिसंबर 2014 से स्कॉटलैंड में और जनवरी 2020 से उत्तरी आयरलैंड में वैध किया गया.
फ्रांस में 18 मई 2013 से समलैंगिक विवाह को वैध है.
कनाडा ने 20 जुलाई 2005 को देशभर में समलैंगिक विवाह को वैध कर दिया था.
इटली में समलैंगिक विवाह वैध नहीं है. हालांकि, 2016 में देश में समलैंगिक लोगों के संघों को वैध कर दिया गया, जिससे ऐसे जोड़ों को कुछ कानूनी मान्यता मिली हुई है.
रूस में समलैंगिक विवाह वैध नहीं है देश ने एलजीबीटीक्यू के अधिकारों को प्रतिबंधित करने वाले कानून बनाए हैं.
यह भी पढ़ें- LGBTQI: क्या होता एलजीबीटीक्यूआई? समझिए इसकी पूरी ABCD
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)