Same Sex Marriage Review Petition: समलैंगिक विवाह मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ बुधवार (1 नवंबर) को समीक्षा याचिका दायर की गई. इसका मतलब है कि समलैंगिक विवाह मामले पर जो फैसला आया है, कोर्ट उसकी समीक्षा करे. समलैंगिकों के समुदाय से लगातार सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग की जा रही है. 


समलैंगिक विवाह मामले में शीर्ष अदालत ने 17 अक्टूबर को फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि वह समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दे सकता है और ऐसे जोड़े बच्चे भी गोद नहीं ले सकते हैं. ऐसे विवाह को कानूनी मान्यता देना संसद और विधानसभाओं का काम है. कोर्ट ने कहा था कि सरकार चाहे तो समलैंगिक जोड़ों की चिंताओं का हल निकालने के लिए समिति बना सकती है.


इससे पहले सेम सेक्स मैरिज की मांग वाली 18 याचिकाएं की गईं थी दायर


पांच न्यायाधीशों वाली जिस संविधान पीठ ने मामले पर फैसला सुनाया था उसमें चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस एम रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे. 


सेम सेक्स मैरिज की मांग वाली कम से कम 18 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी. शीर्ष अदालत ने मामले पर अप्रैल से सुनवाई शुरू की थी. संविधान पीठ की ओर से दस दिन की सुनवाई के बाद 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. इसके बाद 17 अक्टूबर को फैसला सुनाया गया.


सेम सेक्स मैरिज को लेकर क्या है सरकार का रुख?


भारत सरकार ने कोर्ट में समलैंगिक विवाह का विरोध किया था. सरकार की नजर में यह सेम सेक्स मैरिज का विचार पश्चिमी जगत का है और शहरों में रहने वाले अभिजात वर्ग (एलीट क्लास) की ओर से इसकी मांग की जा रही है. बता दें कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भारत में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से अलग कर दिया था, तब से इस समुदाय की ओर से समलैंगिक विवाह पर कानूनी मान्यता की मांग जोर पकड़ रही है. 


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