Same-Sex Marriage: समलैंगिक विवाह पर यूपी, राजस्थान और असम समेत 7 राज्यों ने साफ किया रुख, केंद्र ने SC को बताया कौन-कौन है विरोध में
Same-Sex Marriage Hearing: उत्तर प्रदेश ने कहा है कि यह मुद्दा बहुत ही संवेदनशील है और इसके किसी भी फैसले का समाज के विभिन्न समुदायों पर गहरा असर पड़ेगा.
Same-Sex Marriage Supreme Court: केंद्र सरकार ने बुधवार (10 मई) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसे समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सात राज्यों से जवाब मिला है. वहीं राजस्थान, आंध्र प्रदेश और असम की सरकारों ने ऐसी शादी को कानूनी मान्यता देने को लेकर याचिकाकर्ताओं की दलीलों का विरोध किया है.
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ को बताया कि मणिपुर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने कहा है कि इस मुद्दे पर बहुत व्यापक और विस्तृत बहस की जरूरत है और वे तत्काल इस मामले में कोई जवाब दे पाने में सक्षम नहीं होंगे.
केंद्र ने राज्यों को पत्र लिखा
केंद्र सरकार ने इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के सामने दायर अपने हलफनामे में कहा था कि उसने 18 अप्रैल को सभी राज्यों को पत्र लिखा था और संबंधित याचिकाओं में उठाए गए बुनियादी मुद्दे पर उनके विचार आमंत्रित किए थे.
सात राज्यों को पत्र
मेहता ने संविधान पीठ के सामने कहा, "मैंने पहले कहा था कि हमने राज्य सरकारों को पत्र लिखे हैं. सात राज्यों- मणिपुर, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, सिक्किम और राजस्थान से अभी तक उत्तर मिले हैं, लेकिन मैं उसे पढ़ नहीं रहा हूं. मैं इसे रिकॉर्ड पर ला रहा हूं."
याचिकाकर्ताओं की मांग के खिलाफ राजस्थान
संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस. आर. भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा शामिल हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा, "राजस्थान का कहना है कि हमने इसकी पड़ताल की है और हम याचिकाकर्ताओं की मांग के विरुद्ध हैं." उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने इस मामले को बहुत ही संवेदनशील करार दिया है तथा वे तत्काल इसका जवाब देने में सक्षम नहीं हैं.
मणिपुर ने की व्यापक चर्चा की मांग
पीठ समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने संबंधी याचिकाओं पर आज नौंवे दिन सुनवाई कर रही थी. दलीलें पूरी नहीं हो सकी हैं और गुरुवार (11 मई) को भी जारी रहेंगी. मणिपुर ने इस मुद्दे पर जहां व्यापक चर्चा की आवश्यकता जताई है, वहीं आंध्र प्रदेश सरकार के विशेष मुख्य सचिव ने कहा है कि राज्य सरकार समलैंगिक शादी के खिलाफ है.
यूपी में मांगा अतिरिक्त समय
उत्तर प्रदेश ने कहा है कि यह मुद्दा बहुत ही संवेदनशील है और इसके किसी भी फैसले का समाज के विभिन्न समुदायों पर गहरा असर पड़ेगा. उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में उत्तर के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता जताई है. महाराष्ट्र सरकार की राय लगभग यही है. असम सरकार ने कहा है कि इस मामले की नये सिरे से व्याख्या की आवश्यकता है.
सिक्किम सरकार ने कहा है कि वह समलैंगिक विवाह के प्रभावों के गहराई से आकलन करने के लिए एक समिति गठित करने पर विचार कर रही है.