Sameer Wankhede: समीर वानखेड़े की कास्ट सर्टिफिकेट की जांच अब सर्टिफिकेट स्क्रूटनी कमिटी ने भी की शुरू
Sameer Wankhede: समीर वानखेड़े के कास्ट सर्टिफिकेट पर उठ रहे सवालों पर पुलिस ने SIT का गठन कर जांच शुरू कर दी है.
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Sameer Wankhede: मुंबई NCB के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े की कास्ट सर्टिफिकेट पर उठ रहे सवालों के बाद मुंबई पुलिस को मिली शिकायतों के आधार पर पुलिस ने SIT का गठन कर जांच शुरू कर दी है. इसके अलावा अब दो लोगों से मिली शिकायत के आधार पर मुंबई डिविजन की कास्ट सर्टिफिकेट स्क्रूटनी कमिटी ने भी जांच (इनक्वायरि) शुरू कर दी है.
सूत्रों ने बताया यह जांच महाराष्ट्र सरकार के सोशल वेलफेयर मिनिस्टर के कहने के बाद नहीं हो रही है बल्कि उन्हें मिली शिकायतों के आधार पर हो रही है. समीर वानखेड़े से भी होगी पूछताछ. सूत्रों ने बताया की इस कमिटी को दो लोगों से लिखित शिकायत मिली है जिसमें से एक शिकायतकर्ता का नाम स्वाभिमानी रिपब्लिकन पक्ष के मनोज संसारे तो दूसरे शिकायतकर्ता का नाम भीम आर्मी के अशोक काम्बले हैं.
वानखेड़े का कास्ट सर्टिफिकेट फर्जी- शिकायतकर्ताओं का आरोप
इन शिकायतकर्ताओं ने शिकायत में आरोप लगाया है की वानखेड़े का कास्ट सर्टिफिकेट फर्जी है और जिसे पाने के लिए दस्तावेज़ों से छेड़छाड़ की गई है ताकि उन्हें SC कैटेगरी में नौकरी मिल सके. कमिटी ने इन दोनों ही शिकायतकर्ता को 30 नवंबर को सुनवाई के लिए उनके सामने पेश होने को कहा है. कमिटी सूत्रों ने बताया की वे शिकायतकर्ता की बातें सुनने के बाद वानखेड़े को सुनवाई के लिए कमिटी के सामने हाज़िर होने को कहेंगे. जिसके बाद उन सारे दस्तावेज को वेरिफ़ाय करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
जन्म पत्रिका और निकाहनामा के आधार पर की गई शिकायत
शिकायतकर्ता ने कमिटी को वानखेड़े का बर्थ सर्टिफिकेट और निकाहनामा सबूत के तौर पर दिया है जिसके आधार परउनका कहना है की वानखेड़े का कास्ट सर्टिफिकेट फ़र्जी है. कमेटी के सूत्रों ने बताया की ऐसी कंडीशन में उनके पास तीन महीने होते हैं जांच करने के लिए और ज़रूरत पड़ने पर एक और महीने का समय मिल सकता है जांच पूरी करने के लिए. जांच के दौरान यह साबित होता है कि कास्ट सर्टिफिकेट फर्जी है और उसने दस्तावेज फर्जी इस्तेमाल किया है. ऐसे में कमिटी के पास अधिकार होता है की वो इस सर्टिफिकेट को कौंसिल कर सकती है.
इतना ही नहीं कमेटी को अगर कुछ गलत मिलता है तो वो इस बात की जानकारी मैजिस्ट्रेट कोर्ट को देगी और अगर कोर्ट भी इस रिपोर्ट से कनविंस हो जाती है तो ऐसे में कोर्ट लोकल पुलिस को बोलकर इस मामले में FIR दर्ज करने को भी बोल सकती है.
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