Samvidhaan Hatya Diwas: केंद्र की मोदी सरकार की ओर से 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष इसका विरोध कर रहा है. इसी दिन 25 जून 1975 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरे देश में 'आपातकाल' की घोषणा की थी. विपक्ष की इस आलोचना का जवाब बीजेपी नेता और सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दिया. उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए साफ शब्दों में पूछा, 'क्या उस समय के कार्यकर्ताओं और जननायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में किया गया आंदोलन अराजकता था?' 


सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, 'मैं इंडी ब्लॉक के नेताओं से पूछना चाहता हूं कि क्या जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में किया गया इतना बड़ा जन आंदोलन अराजकता था? मैं लालू यादव और अखिलेश यादव से भी पूछना चाहता हूं कि क्या उनके पिता मुलायम सिंह यादव अराजकता का हिस्सा थे?'


उन्होंने आगे कहा, 'आपातकाल वो था, जिसमें संविधान की हत्या क्या होती है? ये समझने की जरूरत है. देश में नागरिकों के मूल अधिकार छीन लिए गए थे. यहां तक कि लोगों के स्वतंत्र घूमने और जीने का अधिकार भी छीन लिया गया था.' इस दौरान सुधांशु त्रिवेदी ने कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा. 


सुधांशु त्रिवेदी ने सुनाई 'आपातकाल' की कहानी


उन्होंने कहा, 'स्वतंत्र भारत के इतिहास में इंदिरा गांधी एकमात्र ऐसी नेता थीं, जिन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनावी मशीनरी के दुरुपयोग और चुनावी भ्रष्टाचार में दोषी पाया था. यहां तक कि उनकी सदस्यता भी रद्द कर दी गई थी और जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो उनकी सदस्यता बरकरार रखी गई, लेकिन वह एक सांसद के तौर पर काम नहीं कर सकीं. वो न तो 6 साल तक चुनाव लड़ सकीं, न वोट दे सकीं और न ही लोकसभा की कार्यवाही में भाग ले सकीं. जब उन्हें कोई रास्ता नहीं मिला तो उन्होंने आपातकाल लागू किया और अब स्थिति ये है कि कोई भी कोर्ट प्रधानमंत्री पर टिप्पणी या सवाल नहीं उठा सकता है.'


मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार के फैसले पर उठाए सवाल


विपक्ष के कई नेताओं ने इंदिरा गांधी के 'आपातकाल' को सही ठहराया है, तो कई इसके बचाव में दिखे. कांग्रेस चीफ मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार के इस फैसले के विरोध में कहा, 'हर 15 मिनट में देश के अंदर दलितों के खिलाफ एक बड़ा अपराध होता है. ये संविधान की हत्या नहीं तो क्या है? जब अल्पसंख्यकों पर गैरकानूनी तरीके से बुलडोजर चलता है और 7.38 लाख लोगों को बेघर कर दिया जाता है, तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है?'


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