Parliament Monsoon Session: 19 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है. इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने नए कृषि कानूनों पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार कर ली है. एसकेएम ने अपने बयान में कहा कि संगठन किसानों के लिए संसद में आवाज उठाने के लिए 17 जुलाई तक विपक्षी दलों को चेतावनी पत्र भेजेगा. हर दिन मानसून सत्र के अंत तक, प्रत्येक किसान संगठन के 5 सदस्य, कुल मिलाकर कम से कम 200 किसान संसद के बाहर विरोध करेंगे.


बता दें कि इससे पहले भी संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने एक बयान में ये बात कही थी. मोर्चा ने बताया था कि किसान संसद के मानसून सत्र के दौरान रोजाना वहां प्रदर्शन करने को लेकर विस्तृत योजना बना रहे हैं. मोर्चा ने एक बयान में कहा था, “हम चाहते हैं विपक्षी दल सुनिश्चित करें कि संसद सत्र के दौरान किसान आंदोलन और उनकी मांगें चर्चा का मुख्य मुद्दा बनें और सरकार पर उन मांगों को मानने का दबाव बने.”






देश के 40 से ज्यादा किसान संघों के शीर्ष संगठन ने 4 जुलाई को घोषणा की थी कि 19 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान करीब 200 किसान रोजाना केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करेंगे.


संयुक्त किसान मोर्चा ने पहले कहा था कि वह विपक्षी दलों को पत्र लिखकर अनुरोध करेगा कि वे सुनिचित करें कि किसानों की बात सुनी जाए. मोर्चा ने कहा था, ‘‘हम चाहते हैं कि विपक्षी दल सुनिश्चित करें कि किसान आंदोलन और उनकी मांगें चर्चा का मुख्य मुद्दा बनें और सरकार पर मांगों को मानने का दबाव बने. हम नहीं चाहते हैं कि विपक्ष हंगामा करे या सदन से बहिर्गमन करे, हम चाहते हैं कि ऐसे में जबकि किसान बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं वह रचनात्मक तरीके से संसद की कार्यवाही में भाग ले."


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