Shahjahan Sheikh: 17 कारें, करोड़ों की संपत्ति...संदेशखाली का शेख शाहजहां, ईंट भट्टे का मजदूर कैसे बन गया अकूत संपत्ति का मालिक
Sandeshkhali Row: शाहजहां सालों पहले बांग्लादेश से भारत आया था. उसने सबसे पहले खेतों और ईंट भट्टों में काम किया. धीरे धीरे उसने पैर जमाना शुरू कर दिया और लोगों को जमीन पर कब्जा करने लगा.
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पश्चिम बंगाल की संदेशखाली इन दिनों चर्चा में है. यहां की स्थानीय महिलाओं ने टीएमसी नेताओं पर यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल रखा है. इस मुद्दे पर सियासत भी जारी है. जहां बीजेपी इस पूरे मामले पर ममता सरकार को घेर रही है. वहीं टीएमसी ने बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. इस पूरे विवाद के केंद्र में एक नाम 'शाहजहां शेख' है. आइए जानते हैं कि वह कौन है और उस पर क्या क्या आरोप लगे हैं.
दरअसल, शाहजहां शेख स्थानीय टीएमसी नेता है. संदेशखाली में महिलाओं ने शाहजहां शेख और उसके करीबी शिबू हाजरा और उत्तम सरदार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. महिलाओं का दावा है कि शाहजहां और उसके करीबी संदेशखाली की महिलाओं को पार्टी की बैठक के बहाने दफ्तर में बुलाते हैं और उनके साथ गलत काम किया जाता है. इतना ही नहीं टीएमसी के नेताओं पर लोगों की जमीन और खेती हड़पने के भी आरोप हैं.
कौन हैं शाहजहां शेख?
लल्लनटॉप की रिपोर्ट के मुताबिक, शाहजहां सालों पहले बांग्लादेश से भारत आया था. उसने सबसे पहले खेतों और ईंट भट्टों में काम किया. इतना ही नहीं रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के हवाले से बताया गया कि शाहजहां ने शुरुआत में नाव, सवारी गाड़ी भी चलाई.
- 2002 में शेख ने ईंट भट्टों में काम करने वाले मजदूरों का यूनियन बनाया. वह यूनियन का नेता बना. इसके बाद वह सत्ताधारी पार्टी माकपा से जुड़ गया. तब पश्चिम बंगाल में लेफ्ट की सरकार थी. माकपा में एंट्री दिलाने में उसकी मदद उसके मामा और स्थानीय माकपा नेता मुस्लिम शेख ने की.
जमीन पर कब्जा करना किया शुरू
- सत्ता का सरंक्षण मिलने के बाद शाहजहां ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया. वह लोगों की जमीन लीज पर लेने लगा और उनमें तालाब बनाकर मछली और झींगा पालने लगा. जो किसान खेल लीज पर देने से मना कर देते, उनमें वह अपने लोगों से खारा पानी भरवा देता. इससे लोगों की फसलें खराब हो जाती और उन्हें मजबूरन अपनी खेती लीज पर देनी पड़ी. शुरुआत में एक दो साल तक शेख किसानों को पैसे देता, लेकिन बाद में पैसे देने बंद कर देता और जमीन पर कब्जा कर लेता. धीरे धीरे संदेशखाली में शाहजहां का सिक्का चलने लगा. जो उससे जमीन को लेकर शिकायत करने जाता, उसके साथ मारपीट की जाती.
2012 में पाला बदला, बढ़ गया रसूख
इसके बाद पश्चिम बंगाल में 2011 में ममता के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार आई. 2012 में शाहजहां लेफ्ट छोड़कर टीएमसी में आ गया. टीएमसी में आने के बाद उसका रसूख और बढ़ गया. बताया जाता है कि उसे टीएमसी के कुछ बड़े नेताओं का साथ मिला. रिपोर्ट के मुताबिक, इनके जरिए वह ऊपर तक पैसे पहुंचाने लगा. शाहजहां का करीबी शिबू हाजरा और उत्तम सरदार उसके नाम पर उगाही करने लगे.
लेकिन शाहजहां पर ये आरोप यहीं तक नहीं रुके. शाहजहां और उसके लोगों पर आरोप है कि वे महिलाओं को पार्टी की बैठक के नाम पर बुलाते और उनका यौन शोषण किया जाता. जो महिलाएं आने से मना कर देतीं उनके पति के साथ मारपीट की जाती और महिलाओं को मजबूर किया जाता.
शाहजहां शेख ने बनाई अकूट संपत्ति
शाहजहां शेख ने पंचायत चुनाव में अपनी सालाना कमाई 20 लाख रुपये बताई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, उस पर 17 कार, 43 बीघा जमीन 2 करोड़ के गहने और 2 करोड़ का बैंक बैलेंस है. लेकिन स्थानीय लोग बताते हैं कि उसके पास इससे कहीं ज्यादा संपत्ति है.
पहली बार कब नाम आया सामने?
शाहजहां का नाम पहली बार तब मीडिया के सामने आया, जब बंगाल के राशन घोटाले के सिलसिले में ईडी ने उसके घर पर रेड डाली. इस दौरान भीड़ ने ईडी अधिकारियों पर हमला कर दिया. इस हमले में 3 अधिकारी जख्मी हुए और शाहजहां फरार हो गया. बंगाल पुलिस महिलाओं के साथ उत्पीड़न और जमीन कब्जा करने के आरोप में शिबू हाजरा और उत्तम सरदार समेत 18 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. लेकिन शेख अभी भी फरार है.
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