Sandeshkhali Victims With Draupadi Murmu: पश्चिम बंगाल के संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं ने शुक्रवार (15 मार्च) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर अपना दर्द बयां किया. आदिवासी और दलित समाज की इन महिलाओं ने बाद में कॉस्टिट्यूशन क्लब में मीडिया के समक्ष वहां के हालात बयान किया है.


पीड़ित महिलाओं का आरोप हैं कि बीते कई वर्षों से टीएमसी के नेता (अब निलंबित) शाहजंहा शेख और उसके साथी दलित आदिवासी महिलाओं का सामाजिक,आर्थिक और शारीरिक शोषण करते रहे हैं. अगर कोई महिला उनका विरोध करती है तो उसके परिवार के लोगों के साथ मारपीट की जाती है और उनके बच्चों की हत्या की धमकी दी जाती है.


'शाहजहां और गुर्गों को राज्य सरकार का संरक्षण'


पीड़ित महिलाओं का कहना था कि राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, अनुसूचित जाति आयोग और महिला आयोग की टीम ने भी संदेशखाली का दौरा कर उन्हें इंसाफ दिलाने का वादा किया मगर राज्य सरकार के संरक्षण के कारण शेख शाहजहां के गुर्गे आज भी खुले में घूम रहे हैं. पीडिताओं का कहना था कि शाहजहां शेख को भले ही सीबीआई ने हिरासत में ले लिया हो मगर उसके दो भाई सिराज शेख और आलमगीर लगातार महिलाओं को धमकी दे रहे हैं कि मीडिया और कोर्ट में विषय ठंढा पड़ने के बाद उन्हें कौन सहारा देगा? अगर उन्होंने (पीड़ित महिलाओं) अपना बयान नहीं बदला तो उनके परिवार के लोगों की हत्या कर दी जाएगी.


शाहजहां के भाइयों को गिरफ्तार करने की मांग


पीड़ित महिलाओं ने मांग की कि शाहजहां शेख के दोनों भाईयों को भी सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया जाए ताकि संदेशखाली में भयमुक्त माहौल बने. दलित और आदिवासी समाज की महिलाओं ने आरोप लगाया कि शाहजहां शेख ने संदेशखाली के आसपास इस तरह का माहौल बना रखा हैं कि पुलिस और प्रशासन के लोग भी उसी के इशारे पर काम करते है. आदिवासियों की जमीन कब्जाना और उन्हें बंधक बना कर रखना शाहजहां शेख के लोगों का काम है. उसके खिलाफ अगर कोई आवाज उठाता है तो टीएमसी के लोग उसके साथ मारपीट करते है और हथियार दिखा कर जान से मारने की धमकी देते हैं.


'आरोपियों के खिलाफ नहीं लगी SC ST एक्ट'


संदेशखाली की पांच महिलाओं ने दिल्ली आकर राष्ट्रीय मीडिया के साथ बातचीत करने का साहस दिखाया. उनका कहना है कि सीबीआई इस मामले में टीएमसी के नेताओं और शाहजहां शेख के भाईयों को भी गिरफ्तार करें तभी उनके अंदर इंसाफ की उम्मीद जगेगी. पीडित महिलाओं को कहना था कि उनके छोटे बच्चों और परिवार वालों को लगातार हत्या की धमकी मिल रही है और राज्य सरकार उनकी कोई मदद  करने के बजाय अपराधियों को ही बचाने में लगी है. इसका सबसे बड़ा सबूत यह है कि अपराधियों को बचाने के लिए आवश्यक प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज एंड प्रोटेक्शन ऑफससिविल राइट्स एक्ट की धारायें भी आरोपियों पर नहीं लगाई गई हैं.


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