कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने गढ़, अपनी संसदीय क्षेत्र अमेठी से हार गए हैं. इस बार फिर 2019 के लोकसभा चुनावों में पूरे देश में प्रचंड मोदी लहर नजर आई, जिसकी बदौलत राहुल गांधी अपनी मौजूदा सीट गंवा बैठे. मगर ऐसा पहली बार नहीं है जब अमेठी से कांग्रेस को शिकस्त मिली हो.
अमेठी लोकसभा सीट पर सबसे पहले चुनाव 1967 के आम चुनाव के दौरान हुए. जहां कांग्रेस के विद्याधर वाजपाई ने इस सीट पर जीत दर्ज की. इसके बाद कांग्रेस लगातार इस सीट पर जीत हासिल करती रही. मगर 1977 में ऐसा पहली बार हुआ जब कांग्रेस यहां से जीत दर्ज नहीं कर पाई. 1977 में यहां से जनता दल के रविंद्र प्रताप सिंह इस लोकसभा सीट पर जीत हासिल की. इमरजेंसी के बाद 1977 में संजय गांधी इस सीट से चुनाव लड़े थे मगर वह अपनी सीट गंवा बैठे.
कांग्रेस एक बार फिर इस सीट को अपना बनाने के इरादे से चुनावी मैदान में उतरी और उसे जीतने में कामयाब रही. 1980 के चुनावों में संजय गांधी ने इस सीट पर वापसी करने में कामयाब रहे. संजय गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी ने इस सीट पर उपचुनाम विजयी हुए. मगर करीब 20 साल बाद फिर से कांग्रेस के खेमे से अमेठी की सीट जाती रही. 1998 में कांग्रेस को एक बार फिस इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था.
साल 1998 में कांग्रेस की ओर से राजीव गांधी के करीबी सतीश शाह चुनावी मैदान में थे. उन्होंने दो बार इस सीट पर जीत हासिल की थी. लेकिन साल 1998 में उन्हें राजीव गांधी के ही दूसरे खास संजय सिंह ने शिकस्त थी. संजय सिंह भी पहले राजीव गांधी के ही सहयोगी हुआ करते थे, लेकिन 1988 में उन्होंने जनता दल का दामन थाम लिया था और राजीव गांधी के ही खिलाफ चुनावी मैदान में उतर आए थे. हालांकि, संजय सिंह को इस दौरान हार का समाना करना पड़ा. लेकिन साल 1998 में उन्होंने कांग्रेस को इस सीट पर पटखनी दी.
अब करीब 20 साल बाद राहुल गांधी को वापस से इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा है. राहुल गांधी लगातार तीन बार से इस सीट पर चुनाव जीत कर यहां के मौजूदा सांसद थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने करीब 56 हजार वोटों से राहुल गांधी को शिकस्त धी. बता दें 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने इसी सीट पर स्मृति ईरानी को हराया था.