NDA से शिवसेना बाहर: संजय राउत के निशाने पर बीजेपी, कहा- कोई अपने आप को भगवान ना समझे
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर अलग अलग तरफ से अलग-अलग दावे सामने आ रहे हैं, दावों के बीच सच ये है कि चुनाव नतीजों को आए करीब एक महीना होने वाला है लेकिन महाराष्ट्र की जनता को अभी भी सरकार का इंतजार है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार का सस्पेंस खत्म नहीं हुआ है. इतना हुआ है कि अब तक जो राजनीति मुंबई में चल रही थी वो अब दिल्ली शिफ्ट हो गई है. आज से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है. शरद पवार से लेकर संजय राउत तक दिल्ली आ गए हैं. आज सबसे बड़ी हलचल होगी जब सोनिया से पवार मिलेंगे. पुणे से पवार दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं. मुलाकात होनी है लेकिन मुलाकात का समय अभी तय नहीं है.
शिवसेना नेता संजय राउत भी संसद सत्र में हिस्सा लेने दिल्ली पहुंचे हैं. इस बीच एनडीए से शिवसेना को बाहर किए जाने पर संजय राउत का गुस्सा बीजेपी पर फूटा है. संजय राउत ने बीजेपी नेतृत्व का नाम लिए बिना कहा कि कोई अपने आप को भगवान ना समझे, 'अपुन ही भगवान है' वाली सोच गलत है. इसके साथ ही संजय राउत ने मशहूर शायर हबीब जालिब का शेर भी ट्विटर पर शेयर किया. उन्होंने लिखा, ''तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था, उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था.''
अपुन ही भगवान है वाली सोच गलत- राउत संजय राउत ने कहा, ''दिल्ली में बड़े बड़े बादशाह आए और चले गए लेकिन इस देश का लोकतंत्र कायम है. जनता सबसे बड़ी भगवान है, अपने आप को भगवान समझने की कोशिश किसी को नहीं करनी चाहिए. अपुन ही भगवान है वाली सोच गलत, कोई भगवान नहीं होता. आज जो स्थिति महाराष्ट्र में स्थिति पैदा हुई है, वो अहंकार की बात है. जो बात शिवसेना के बारे में तय हुई थी अगर आप उससे पीछे हटते हो और अपने आप भगवान समझते हैं तो यह ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा, ''एनडीए के संस्थापकों में से हम एक हैं, एनडीए बनाने वाले नेताओं में अटल जी, आडवाणी जी, प्रकाश सिंह बादल जी, जॉर्ज फर्नाडिस और बाला साहेब ठाकरे शामिल थे. हमने एनडीए बनाया और हमने एनडीए को मजबूत करने की कोशिश की है. एत जमाना था जब एनडीए में दो या तीन दल ही बचे थे, उनमें शिवसेना थी. हमने एनडीए बचा कर रखा, हमने कभी इसे टूटने नहीं दिया.''
संजय राउत शिवसेना को बाहर किए जाने के फैसले पर कहा, ''महाराष्ट्र से निकल कर दिल्ली तक आयी है और दिल्ली में प्रदूषण के साथ साथ राजनीतिक प्रदूषण ज्यादा है. इसे कैसे दूर करेंगे. राजनीति में वचन और शब्द का महत्व है. आज आप लोग हमें एनडीए से निकालने की बात करते हैं. एनडीए किसी की प्रॉपर्टी नहीं है. शिवसेना को निकालने का फैसला किसने किया है, एनडीए का संयोजक कौन है ? शिवसेना को बाहर निकालने का फैसला किसने लिया ? क्या एनडीए से बाकी सहयोगियों प्रकाश सिंह बादल, नीतीश कुमार से पूछा? क्या शिवनसेना को चिट्ठी भेजी ? आज जो शिवसेना को एनडीए से निकालने का एलान कर रहे हैं, जब एनडीए बना तब उनका जन्म भी नहीं हुआ था.''