मुंबई: मुंबई के ग्रैंड हयात होटल में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना नेता संजय राउत के बीच हुई गुप्त बैठक ने महाराष्ट्र की राजनीतिक गलियारों में सभी को चौंका दिया है. शनिवार दोपहर 1.30 से 3.30 के बीच हुई लंच पर चर्चा ने नए से अटकलें शुरू हो गई हैं कि क्या पुराने दोस्त सारे मतभेद भुलाकर सत्ता परिवर्तन करने के लिए एक साथ आएंगे?


संजय राउत का कहना है कि ये मुलाक़ात सामना के लिए देवेंद्र फडणवीस के इंटरव्यू के लेकर थी. लेकिन सवाल ये है कि अगर एक पत्रकार के नाते संजय फडणवीस से मिलने गए थे तो फिर  ये मुलाक़ात एक होटल के बंद कमरे में क्यों की गई?


संजय राउत ने कहा कि क्या देवेंद्र फडणवीस से मिलने कोई गुनाह है? क्या मैं उनसे मिल नहीं सकता? आप लोग इस मुलाक़ात का कोई भी अर्थ निकाल लें लेकिन हमारी मुलाक़ात सामना इंटरव्यू पर चर्चा करने के लिए थी?


बीजेपी की तरफ़ से भी कहा जा रहा है कि इस मुलाक़ात के कोई राजनीतिक मायने न निकाले जाएं क्योंकि ये मुलाक़ात राजनीति पर चर्चा करने के लिये नहीं थी. महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने कहा कि दो राजनेता एक दूसरे के साथ मिल सकते हैं. हर मुलाक़ात राजनीति के लिए नहीं होती.


चर्चा इसलिए भी हो रही है क्योंकि महाराष्ट्र की गठबंधन की सरकार में अनिश्चितता लगातार रही है. हमेशा से ये सवाल खड़े होते रहे कि क्या ये सरकार पांच साल चलेगी? इन्हीं संजय राउत को बार बार आकर ये कहना पड़ता है ये सरकार स्थिर है और पांच साल चलेगी. लेकिन इस सरकार के पिछले दस महीनों में  तीनों पार्टियों में लगातार मतभेद सामने आए. चाहे वो कोरोना काल में हो, पुलिस अधिकारियों के तबादलों को लेकर हो, पोस्टर पर एक पार्टी के नेताओं की तस्वीर ना हो या सरकार की गाड़ी का स्टीयरिंग शिवसेना के पास है या एनसीपी के पास इसके लेकर हो. कई बार शरद पवार के बीच बचाव कर मामलों को सुलझाना पड़ा.


सुशांत सिंह मामला हो या कंगना रनौत विवाद, हर बार शिवसेना अकेली खड़ी नज़र आई. दोनों साथी पार्टियों ने शिवसेना का बचाव नहीं किया. यहां तक की खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकरे पर सुशांत मामले में गंभीर आरोप लगाए गए लेकिन एनसीपी कांग्रेस के नेता चुप्पी साधे रहे.


इन सब कारणों की वजह से शिवसेना के नेताओं का एक गुट अक्सर कहता आ रहा है कि उनका नैचुरल पार्टनर बीजेपी ही है. वहीं शिवसेना को ये भी डर सता रहा है कि क्या उपमुख्यमंत्री अजित पवार एक बार फिर देवेंद्र फडणवीस के साथ जा सकते हैं? अजित पवार आजकल बिना कुछ कहे सबकुछ कह दे रहे हैं. इनके बेटे पार्थ पवार तो खुले तौर पर बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं. इससे संकेत मिल रहे है कि एनसीपी का एक ख़ेमा बीजेपी के साथ जा सकता है.


वहीं कल घोषित हुई बीजेपी का राष्ट्रीय कार्यकारिणी में देंवेंद्र फडणवीस का नाम नहीं होने का ये भी संकेत है कि देवेंद्र फडणवीस ही राज्य का नेतृत्व करेंगे. तो क्या इस मुलाक़ात के ज़रिए देवेंद्र राजनीति का नहीं दांव खेल रहे हैं? अगर बीजेपी-शिवसेना दोबारा एक बार आती है तो इस बार दिल तो मिलने से रहे बस सत्ता के लिए हाथ मिलाकर सफ़र पूरा करना होगा.


देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात पर बोले संजय राउत- राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता