Sanjay Raut Questions Central Government : कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकी हमले में चार जवानों की शहादत पर विपक्ष हमलावर हो गया है. शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने आरोप लगाया है कि जवानों पर हमले की भनक तक सरकार को नहीं लग रही है. उन्होंने इस घटना को रिपीट ऑफ पुलवामा करार दिया है. शुक्रवार (22 दिसंबर) को संजय राउत ने कहा, "कश्मीर में हमारे जवानों पर हमला हो रहा है. सरकार को खबर भी नहीं है."


"क्या सरकार पुलवामा जैसी घटना पर फिर वोट मांगना चाहती है?"


संजय राउत ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार आतंकी हमले की घटनाओं पर वोट बटोरना चाहती है. उन्होंने कहा है, "पूंछ में जो हमला हुआ है वह रिपीट आफ पुलवामा है. क्या सरकार फिर पुलवामा जैसे घटना पर वोट मांगना चाहती है. अगर आपने 370 को हटाया है तो देखिये क्या हो रहा है. आप देखिये दो महीने में कितने जवानों की शहादत हुई, सरकार क्या कर रही है?"


"सवाल करेंगे तो देश से निकाल देंगे"


केंद्र सरकार पर विपक्षी सांसदों के निलंबन का आधार बनाकर भी संजय राउत ने हमला बोला. उन्होंने आतंकी हमले को भी उसी से जोड़ते हुए कहा है, "हम पूंछ के बारे में सवाल करेंगें तो हमें देश से निकाला जायेगा."


दिल्ली में होगा महाराष्ट्र की सीट शेयरिंग पर फैसला


इंडिया गठबंधन में शामिल दलों के बीच तकरार को लेकर भी उन्होंने महत्वपूर्ण टिप्पणी की. खासतौर पर उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में विवाद को लेकर कहा, "बहन जी के बारे में इंडिया एलायंस में चर्चा हुई है. सपा और बसपा में विवाद है. यूपी में हम सबको साथ लड़ना चाहिये तो नतीजे कुछ और होंगे." महाराष्ट्र के बारे में रुख स्पष्ट करते हुए संजय ने कहा, "महाराष्ट्र का शीट शेयरिंग दिल्ली में होगा और दो घंटे में पूरा हो जाएगा. लगभग सीट शेयरिंग की बात बन चुकी है.


कुछ ही दिनों में शहीद हुए हैं 19 सुरक्षाकर्मी


आपको बता दें कि आतंकवादियों द्वारा सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर किए गए हमले में चार सैनिक शहीद हो गए और तीन अन्य घायल हो गए. राजौरी, पुंछ और रियासी जिलों में इस साल मुठभेड़ों में अब तक 19 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए हैं और 28 आतंकवादी मारे गए हैं. इन मुठभेड़ों में कुल 54 लोग मारे गए हैं.


न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले अक्टूबर 2021 में वन क्षेत्र में आतंकवादियों के दो अलग-अलग हमलों में नौ सैनिक शहीद हो गए थे. चमरेर में 11 अक्टूबर को एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (जेसीओ) सहित पांच सैन्यकर्मी शहीद हुए थे, जबकि 14 अक्टूबर को एक निकटवर्ती जंगल में एक जेसीओ और तीन सैनिकों ने जान गंवाई थी.


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