मुंबई: शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवार को दावा किया कि उनकी पार्टी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया और रास्ते की मुख्य रुकावटों को राजनीति के लिए नहीं बल्कि आस्था और हिंदुत्व के लिए दूर किया. उन्होंने कहा कि यह देखना होगा कि अगले महीने मंदिर निर्माण के लिए आधारशिला रखने के समारोह के लिए कितने लोगों को आमंत्रित किया जाएगा और कोविड-19 प्रकोप को देखते हुये सामाजिक दूरी संबंधी क्या कदम उठाए जाएंगे.


राउत ने कहा, “यह भी देखना होगा कि वे क्या ‘राजनीतिक सामाजिक दूरी’ अपनाएंगे.”राउत ने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हमेशा अयोध्या जाते हैं और पार्टी तथा उत्तर प्रदेश की नगरी के बीच संबंध “अटूट’’ हैं.


राउत ने ये टिप्पणियां उस वक्त कीं, जब उनसे पूछा गया कि क्या ठाकरे पांच अगस्त को अयोध्या का दौरा करेंगे, जब भव्य राम मंदिर के निर्माण के आरंभ के लिए भूमि पूजन समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी वहां जाने की संभावना है.


उन्होंने कहा, “उद्धव ठाकरे हमेशा अयोध्या जाते हैं. वह तब भी अयोध्या गए थे जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री नहीं थे, वह मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वहां गए थे.”राज्यसभा सदस्य ने कहा, “शिवसेना और अयोध्या के संबंध अटूट हैं. यह राजनीतिक संबंध नहीं है. हम राजनीति के लिए अयोध्या नहीं जाते हैं और न ही पूर्व में राजनीति के लिए कभी वहां गए हैं.”


उन्होंने कहा, “शिवसेना ने ही राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त किया. शिवसेना ने भगवान राम जन्मभूमि पर मंदिर के निर्माण की प्रमुख बाधाओं को दूर किया. वह राजनीति के लिए नहीं था. बल्कि शिवसैनिकों ने आस्था एवं हिंदुत्व के लिए बलिदान दिया. और हमारा रिश्ता अटूट है.”


राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र (मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट) के आमंत्रण पर अयोध्या का दौरा करेंगे. NCP प्रमुख शरद पवार ने रविवार को कहा था कि कुछ लोगों को लगता है कि मंदिर का निर्माण करने से कोविड-19 वैश्विक महामारी समाप्त हो जाएगी. पवार की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा, “कोरोना वायरस के खिलाफ जंग सफेद पोशाक वाले हमारे डॉक्टर लड़ रहे हैं, जिन्हें हम देवदूत कहते हैं, मैं बस इतना ही कह सकता हूं.” उन्होंने कहा कि धर्म एवं ईश्वर में पार्टी का भरोसा अटूट है.


उल्लेखनीय है कि पिछले साल नवंबर में उच्चतम न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल को मंदिर के निर्माण के लिए सरकार द्वारा संचालित ट्रस्ट को दिये जाने का निर्देश दिया था.