Delhi Liquor Policy Case: मुख्य सचिव की रिपोर्ट, मनीष सिसोदिया पर शिकंजा, ईडी की एंट्री और फिर संजय सिंह की गिरफ्तारी... पढ़ें 14 महीने में अब तक क्या-क्या हुआ
Sanjay Singh Arrest: दिल्ली की नई शराब नीति लागू होने के बाद इसमें गड़बड़ी की शिकायत की गई थी. इसे लेकर दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एक रिपोर्ट एलजी को सौंपी और जांच शुरू हुई.
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Delhi Liquor Policy Case: आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की बुधवार (4 अक्टूबर) को गिरफ्तारी के बाद दिल्ली की नई शराब नीति एक बार फिर चर्चाओं में है. कल संजय सिंह के आवास पर छापेमारी हुई और फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. शराब नीति में गड़बड़ी के आरोपों की जांच ईडी और सीबीआई दोनों कर कर रहे हैं. संजय सिंह से पहले फरवरी में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई थी.
सीबीआई की पहली चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम सामने आया था. फिलहाल उनकी जमानत का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. उधर, संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद शराब नीति को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो गई है. नवबंर, 2021 में शराब नीति लागू हुई और कुछ महीनों बाद ही वापस भी ले ली गई. पिछले साल की 22 जुलाई को मामले की जांच शरू होने से अब तक कब-कब, क्या-क्या हुआ उस पर एक नजर डाल लेते हैं-
ऐसे शुरू हुई जांच
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी लागू की थी. इसके बाद गड़बड़ियों की शिकायत आई और जांच शुरू हुई. 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें नीति को लेकर कई खुलासे किए गए थे. रिपोर्ट में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर कई गंभार आरोप लगाए गए थे. रिपोर्ट के आधार पर एलजी सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की और 17 अगस्त, 2022 को केस दर्ज किया गया. इसमें मनीष सिसोदिया और तीन पूर्व सरकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया गया. इस मामले में पैसों की हेराफेरी भी हुई थी इसलिए ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया.
रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर लगाए गए गंभीर आरोप
- मनीष सिसोदिया शिक्षा विभाग के साथ दिल्ली का वित्त मंत्रालय भी देख रहे थे इसलिए सबसे पहले वही घेरे में आए. मुख्य सचिव की रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. उन पर गलत तरीके से नीति तैयार करने, बड़े कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने और एलजी एवं कैबनिट की मंजूरी लिए बिना ही नीति में अहम बदलाव करने जैसे संगीन आरोप लगे थे.
- अधिकारियों का कहना है कि अगर नीति लागू होने के बाद उसमें कोई बदलाव किए जाते हैं तो पहले कैबिनेट के साथ उस पर चर्चा होती है और फिर फाइनल अप्रूवल के लिए इसे एलजी को भेजा जाता है. कैबिनेट और एलजी की जानकारी के बिना कोई भी बदलाव करना गैरकानूनी की श्रेणी में आता है, जो दिल्ली आयकर नियम, 2010 और व्यवसायिक नियमों का लेन-देन, 1993 का उल्लंघन है. रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना का बहाना बनाकर 144.36 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस माफ कर दी गई.
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सिसोदिया के निर्देश पर विदेशी शराब के दाम में बदलाव करके शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया और बीयर पर लगने वाली 50 रुपये प्रति केस की राशि को भी हटा दिया, जिससे कारोबारियों को लाभ हुआ. रिपोर्ट का कहना है कि इस तरह के बदलाव करके आप सरकार ने शराब कारोबारियों को तो फायदा पहुंचाया, लेकिन रेवेन्यू से मिलने वाली रकम में कमी के कारण राज्य के सरकारी खजाने को नुकसान हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक, शराब की बिक्री में बढ़ोतरी के बावजूद रेवेन्यू में 37.51 फीसद की कमी आई.
- मनीष सिसोदिया पर यह भी आरोप है कि आबकारी विभाग ने एयोरपोर्ट जोन में लाइसेंसधारियों को 30 करोड़ रुपये वापस कर दिया, जो जब्त होने थे. शराब कारोबारी एयरपोर्ट अथॉरिटी से जरूरी एनओसी नहीं ले पाया था. ऐसे में उसने जो पैसा जमा किया था वह सरकारी खजाने में जाना था, लेकिन सरकार ने उसको वह पैसा वापस लौटा दिया.
- आप सरकार पर आरोप है कि शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के मकसद से लाइसेंस धारकों का ऑपरेशनल कार्यकाल पहले 1 अप्रैल, 2022 से बढ़ाकर 31 मई, 2022 तक किया गया और फिर इसे जून 2022 से बढ़ाकर 31 जुलाई, 2022 तक कर दिया गया, जिसके लिए न तो केंद्र सरकार और न ही उपराज्यपाल से मंजूरी ली गई.
जानिए क्या था दिल्ली की नई शराब नीति?
17 नवंबर, 2021 को दिल्ली की नई शराब नीति लागू की गई और 30 जुलाई, 2022 को वापस ले ली गई. इसके तहत शराब की रिटेल बिक्री हटा दी गई और प्राइवेट लाइसेंस धारियों को दुकान चलाने के अनुमति मिल गई. आप सरकार ने नई नीति लागू करने के पीछे जो तर्क दिया, उसमें कहा गया कि इससे काला बाजारी पर लगाम कसेगी और सरकारी रेवेन्यू बढ़ेगा. साथ ही ग्राहकों के लिए भी इसके फायदेमंद होने की बात कही गई थी. पॉलिसी के तहत, शराब की दुकानें आधी रात को भी खुली रह सकती थीं और स्टोर अपने हिसाब से आकर्षक डील के जरिए ग्राहकों को ऑफर दे सकते थे.
इसमें 32 जोन बनाए गए थे और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खोली जा सकती थीं. इस तरह कुल मिलाकर 849 दुकानें खोली जानी थीं और शराब की सभी दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया था. लाइसेंस की फीस भी बढ़ा दी गई और पहले जो लाइसेंस 25 लाख रुपये में मिलता था उसकी कीमत 5 करोड़ रुपये कर दी गई. इस वजह से नीति को लेकर आरोप लगाया गया कि बड़े कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के मकसद से जानबूझकर ऐसा किया गया.
क्या हैं आरोप?
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आरोप लगाया कि नीति को लागू करके दिल्ली में लिकर कल्चर को बढ़ावा दिया गया. शराब नीति को लेकर आरोप लगे हैं कि बड़े कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के मकसद से लाइसेंस शुल्क 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 करोड़ रुपये तक कर दिया गया. इस वजह से छोटे कारोबारियों की दुकानें बंद हो गईं और सिर्फ बड़े कारोबारियों को लाइसेंस मिला. विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि इसके बदले में आप नेताओं को फायदा मिला और शराब माफियाओं ने उन्हें मोटी रकम घूस में दी. आप सरकार पर शराब बिक्री को लेकर भी आरोप लगे हैं कि शराब के दाम में बदलाव किए गए.
शराब घोटाला मामले में अब तक 15 से ज्यादा गिरफ्तारी
शराब घोटाला मामले में अभी तक 15 से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. सीबीआई ने जिन लोगों को आरोपी बनाया है, उनमें मनीष सिसोदिया के अलावा, साउथ ग्रुप के सदस्य और एंटरटेनमेंट कंपनी ओनली मच लाउडर के पूर्व सीईओ विजय नायर, पर्नोर्ड रिकर्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, इंडोस्पिरीट के मालिक समीर महेंद्रू, बड्डी रिटेल के मालिक अमित अरोड़ा, अरविंदो ग्रुप के प्रमोटर पी सरथ चंद्र रेड्डी, रिकॉर्ड इंडिया के पूर्व क्षेत्रीय प्रमुख बेनॉय बाबू, साउथ ग्रुप के सदस्य अभिषेक बोनपल्ली, के कविता के पूर्व सीए बुचीबाबू गोरांटला, अकाली दल के पूर्व विधायक के बेटे गोतम मल्होत्रा, चैरियट प्रोडक्शन के डायरेक्टर राजेश जोशी और साउथ ग्रुप के सदस्य राघव मागुंटा का नाम शामिल है.
कैसे फंसे संजय सिंह
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक, 1 अक्टूबर 2022 को सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा ने जांच एजेंसी के सामने संजय सिंह की भूमिका का जिक्र किया था. उन्होंने बताया, 'मेरी (दिनेश अरोड़ा) रेस्टोरेंट अनप्लग्ड कोर्टयार्ड की एक पार्टी में संजय सिंह के जरिए मनीष सिसोदिया से मुलाकात हुई थी. संजय सिंह के कहने पर मैंने चेक के जरिए कई रेस्टोरेंट के मालिकों से बात की और दिल्ली असेंबली इलेक्शन के चलते पार्टी फंड के लिए 82 लाख रुपये इकठ्ठा किए. ये पैसा मनीष सिसोदिया को दिया गया था.' दिनेश अरोड़ा ने यह भी बताया कि अमित अरोड़ा, जो की सार्थक फ्लेक्स के रिटेल लाइसेंस होल्डर हैं उन्होंने पीतमपुरा स्थित अपनी शराब की दुकान को ओखला इलाके में ट्रांसफर कराने में मदद मांगी. ये मामला एक्साइज डिपार्टमेंट के पास पेंडिंग था. दिनेश अरोड़ा के मुताबिक, उन्होंने यह मामला मनीष सिसोदिया के सामने रखा और फिर संजय सिंह के दखल देने के बाद मामला एक्साइज डिपार्टमेंट से सुलझ गया. दिनेश अरोड़ा ने अपने बयान में बताया कि उनकी मनीष सिसोदिया से 5 से 6 बार बात हुई थी और मुख्यमंत्री आवास पर संजय सिंह के साथ सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी.
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