CJI बनने से पहले ही संजीव खन्ना को क्यों छोड़नी पड़ी अपनी सुबह की सैर? जानें वजह
Justice Sanjiv Khanna: CJI डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस संजीव खन्ना भारत के 51वें चीफ जस्टिस होंगे. वह 11 नवंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश की शपथ लेंगे.
Suprme Court: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना 11 नवंबर, 2024 को भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे. हालांकि, इससे पहले उन्हें मॉर्निंग वॉक को छोड़ना पड़ गया है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि जस्टिस खन्ना ने सुबह की सैर बंद कर दी है.
बताया जा रहा है कि जस्टिस संजीव खन्ना हर सुबह लोधी गार्डन और अपने घर के आसपास अकेले कई किलोमीटर तक वॉक करते थे. उन्हें ऐसा लगता था कि कोई उन्हें पहचान नहीं पाएगा, लेकिन जब से उनका नाम CJI के रूप में घोषित किया गया. उन्हें सलाह दी गई कि अब वे सुरक्षा कर्मी के साथ अपनी सैर करें. इस सलाह को मानने से उन्होंने इनकार कर दिया और मॉर्निंग वॉक को पूरी तरह से छोड़ने का फैसला लिया.
दिल्ली के हर कोने से वाकिफ हैं अगले CJI
न्यायमूर्ति खन्ना का दिल्ली से गहरा नाता है. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मॉडर्न स्कूल, बाराखंबा रोड से की. इसके बाद सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन डिग्री प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ सेंटर से कानून की डिग्री हासिल की. कहा जाता है कि खन्ना दिल्ली के कोने-कोने से वाकिफ हैं. वे आज भी अपने पुराने स्कूल, कॉलेज और कानून विद्यालय के दोस्तों के संपर्क में हैं और अभी भी उनके घर जाना पसंद करते हैं. जो कि उनके सादगी और संयमित जीवनशैली का प्रमाण देता है.
कैमरे और प्रचार से दूर रहते हैं संजीव खन्ना
संजीव खन्ना के करीबी दोस्तों ने बताया कि आज भी उनके अंदर पहले वाली आदतें मौजूद हैं. उनके दोस्त बताते हैं, "वह सरल, शांत, कैमरे और प्रचार से दूर रहना पसंद करते हैं." इस बात का उदाहरण मई महीने में लोकसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला. जब रिपोर्टर्स न्यायमूर्ति खन्ना के दिल्ली के निर्माण भवन मतदान केंद्र पर वोट डालने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन उन्होंने अपनी कार से मतदान केंद्र तक यात्रा की और बिना किसी सुरक्षा दल के वापस घर लौट गए.
मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल
न्यायमूर्ति खन्ना का कार्यकाल मुख्य न्यायाधीश के रूप में केवल 6 महीने का होगा. जानकारी के मुताबिक वह 13 मई 2025 को इस पद से रिटायर हो जाएंगे. इस संक्षिप्त कार्यकाल में भी उनका प्रभाव भारतीय न्यायपालिका पर गहरा रहेगा और उनके निर्णय व नेतृत्व से न्यायपालिका में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं.
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