संतकबीरनगर: यूपी के संतकबीरनगर जिले में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग का एक बेहद हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जब पुलिस ने एक पिता को फोन पर ये जानकारी दी की, अस्पताल में भर्ती उनके बेटे की मौत हो गई है और कुछ ही देर बाद शव मृतक का सील पैक पिता के सामने पहुंच गया.
रोता- बिलखता पिता अपने दूसरे बेटे के साथ शव लेकर अंत्येष्टि स्थल पर पहुंचा और शव जलाने के पहले जैसे ही पिता ने मृतक बेटे का चेहरा देखा, तो पुलिस के होश उड़ गए. क्योंकि मृतक उनका बेटा मनोज नहीं बल्कि कोई और था. पता चला कि साबित अली नाम का कोरोना मरीज का शव था, उस पिता को दे दिया गया, जिसका बेटा अभी जिंदा है.
दरअसल, ये पूरा मामला महुली थाना क्षेत्र के मथुरापुर गांव का है, जब इसी गांव के रहने वाले मनोज के घर सुबह पुलिस का फोन आता है कि बस्ती के मेडिकल कॉलेज में भर्ती आपके बेटे की मौत हो चुकी है और उसका शव आपके घर पर भेजा जा रहा है. जिसकी अंत्येष्टि के लिए आपको बिड़हर घाट पर पहुंचना है.
वहीं बेटे की मौत की ख़बर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया, जबकि रात में ही घर वालों से मनोज की बात हुई थी. वहीं, रोता-बिलखता पिता अपने दूसरे बेटे के साथ अंत्येष्टि स्थल पर पहुंचा और कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार के लिए पिता बेटे को अग्नि देने के लिए आगे बढ़ा, तो मृतक के शव को देखकर पिता को कुछ शक हुआ.
उसने बेटे का चेहरा देखने की बात कही, लेकिन जैसे ही पिता ने मृतक के चेहरे को देखा, तो मानों पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी, क्योंकि मृतक उनका बेटा मनोज नहीं, बल्कि धर्मसिंहवां थाना क्षेत्र का रहने वाला था, जिसका नाम साबित अली है. कुछ दिन पहले ही वो मुंबई से बस्ती में आया था. उसकी तबियत खराब होने के वजह से बस्ती के मेडिकल कॉलेज में उसका इजाल चल था. जहां उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई थी, जिस वजह से उसकी मौत हो गई.
दरअसल, मनोज नामक युवक का भी उसी अस्पताल में इलाज चल रहा है और मृतक साबित अली के बेड के नज़दीक मनोज का भी बेड है.
वहीं, स्वास्थ्य विभाग भी पूरे मामले से खुद को बचाने की कोशिश में लगा हुआ और इसे महज कंफ्यूजन वाली बात कहकर मामले को हल्के में लेकर जांच कराने की बात कर रहा है, लेकिन फिर वही सवाल खड़ा होता है कि इतनी बड़ी गलती के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग इन दोनों में जवाब देही किसकी होगी ये अभी तक साफ नहीं हुआ है.
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