रामपाल दो मामलों में बरी, हत्या और देशद्रोह का केस चलता रहेगा
लब्बोलुबाब है कि आज रामपाल को दो मामले में बरी कर दिया गया लेकिन अभी हत्या और राष्ट्रद्रोह जैसे तीन केस उसपर चल रहे हैं और इन मामलों में उसे उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा सुनाई जा सकती है.
नई दिल्ली: तीन साल पहले हिसार में हिंसा भड़काने के आरोप में सतलोक आश्रम के संचालक रामपाल आज कोर्ट ने बरी कर दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस ने रामपाल के खिलाफ जो सबूत पेश किये हैं, उससे उसका दोष साबित नहीं होता.
आज की सुनवाई में राम पाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुआ. कोर्ट के फैसले के बाद रामपाल ने सुकून की लंबी सांस ली और कहा, ''सत्य की जीत हई.''
रामपाल पर तीन अन्य मामले भी चल रहे हैं रामपाल भले ही अभी सत्य की जीत हुई कहकर सुकून की लंबी सांस ले रहा हो लेकिन अभी उसपर तीन और मामले दर्ज हैं जिसपर कोर्ट में सुनवाई चल रही है. रामपाल पर हत्या के दो केस दर्ज हैं. उसपर राष्ट्रद्रोह का केस भी चल रहा है. साथ ही रामपाल पर आऱोप है कि जिस समय पुलिस उसके सतलोक आश्रम को खाली करवा रही थी, उस वक्त उसने अपने समर्थकों को मानव ढाल के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए जबरदस्ती बंधक बनाया था.
अन्य मामलों में भी आएगा जल्द फैसला, उम्रकैद से लेकर फांसी तक संभव रामपाल पर लगे इन तीनों आरोपों की हिसार कोर्ट में सुनवाई चल रही है और जल्द ही इन तीनों मामले में भी फैसला आनेवाला है. लब्बोलुबाब है कि आज रामपाल को दो मामले में बरी कर दिया गया लेकिन अभी हत्या और राष्ट्रद्रोह जैसे तीन केस उसपर चल रहे हैं और इन मामलों में उसे उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा सुनाई जा सकती है.
कौन है खुद को भगवान बताने वाला रामपाल? रामपाल संत का चोला पहनने से पहले हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर था. नौकरी से समय ही रामपाल संत स्वामी रामदेवानंद महाराज का शिष्य बन गया और उनके साथ साथ प्रवचन करने लगा.
साल 1999 में उसने करोंथा गांव में अपना भव्य सतलोक आश्रम बनवाया. बाद में साल दो हजार में हरियाणा सरकार के दबाव के बाद उसने इंजीनियर के पद से इस्तीफा दिया. खुद को कबीरपंथी बताने वाले रामपाल स्वयं को परमेश्वर का एक रूप बताता है.
उसके कुकर्मों की लिस्ट तब उजागर हुई जब जमीन विवाद में हुई हत्या के एक मामले में पुलिस उसे गिरफ्तार करने पहुंची. तब नवंबर 2014 में रामपाल ने पुलिस प्रशासन को खुली चुनौती देते हुए कानून को अपने हाथ में ले लिया था. उस समय पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों ने 12 दिनों के संघर्ष के बाद रामपाल को गिरफ्तार किया था.