Farmers Protest: पेट्रोल-डीजल की कीमतों के खिलाफ 15 मार्च को प्रदर्शन, 26 मार्च को 'भारत बंद'
प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल सितंबर महीने में संसद से पास हुए तीन नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. इन किसानों की मांग है कि सरकार एमएपी को कानून का हिस्सा बनाने के साथ ही तीन नए कृषि कानूनों को वापस ले.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की तरफ से 26 मार्च को भारत बंद का ऐलान किया गया है. बुधवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि पेट्रोल-डीजल और गैस के दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ 15 मार्च को प्रदर्शन किया जाएगा. इस दिन प्रदर्शनकारी किसान, ट्रेड यूनियनों के साथ डीजल-पेट्रोल और गैस की बढ़ती कीमतों और निजीकरण के खिलाफ रेलवे स्टेशनों पर धरना-प्रदर्शन करेंगे, ज्ञापन देंगे.
इसके बाद 17 मार्च को किसान संगठनों के साथ देशभर के मजदूर संगठनों और ट्रांसपोर्ट संगठनों की बैठक बुलाई है, जिसमें 26 मार्च के भारत बंद को लेकर चर्चा की जाएगी.
26 मार्च को भारत बंद
संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कहा गया है कि 19 मार्च को मंडी बचाओ, खेत बचाओ जबकि 23 मार्च को भगत सिंह की याद में युवा दिवस मनाया जाएगा. लेकिन, 26 मार्च को भारत बंद रखा जाएगा. यह बंद दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर किया जाएगा.
बाकी दिनों का कार्यक्रम:
19 मार्च को देश भर की मंडियों के पास धरना देंगे, खेती बचाओ - मंडी बचाओ दिवस मनाएंगे
23 मार्च को आंदोलन वाली जगहों पर शहीद भगत सिंह,राजगुरु, सुखदेव की शहादत दिवस मनाएंगे
28 मार्च को होली के दिन तीनों कानूनों की प्रतियां जलाएंगे
किसान नेता विकास इस्सर ने कहा- जिन विधायकों ने किसानों का साथ नहीं दिया, उनकी निंदा करते हैं. इनके साथ हम कठोर व्यवहार करेंगे, बहिष्कार करेंगे. किसान ध्यान रखेंगे कि वो लोग गांव के अंदर ना घुस पाएं. सरकार आंदोलन दबाने की कोशिश ना करे. आंदोलन तेज होगा. आज किसान दुखी है.
गौरतलब है कि प्रदर्शनकारी किसान पिछले साल सितंबर महीने में संसद से पास हुए तीन नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. इन किसानों की मांग है कि सरकार एमएपी को कानून का हिस्सा बनाने के साथ ही तीन नए कृषि कानूनों को वापस ले. किसानों को डर है कि नए कृषि कानूनों से जहां सरकार मंडी व्यवस्था को खत्म करना चाहती है तो दूसरी तरफ इन कानूनों के जरिए सरकार किसानों को उद्योगपतियों को भरोसे छोड़ देगी.
हालांकि, सरकार का तर्क है कि इन कानूनों के जरिए कृषि क्षेत्र ने नए निवेश के अवसर खुलेंगे और किसानों की आमदनी बढ़ेगी. इसको लेकर किसान संगठन के प्रतिनिधियों और सरकार के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी है. लेकिन, अब तक इस पर नतीजा कुछ भी नहीं निकल पाया है.