नई दिल्ली/चेन्नई: सुप्रीम कोर्ट से आय से अधिक संपत्ति मामले में चार साल जेल की सजा पाने वाली शशिकला नटराजन ने आज शाम बेंगलुरू में सरेंडर कर दिया. शशिकला की 'नई पहचान' अब कैदी नंबर 9934 होगी. शशिकला के साथ ही इल्वारासी और सुधाकरन ने भी सरेंडर कर दिया है. इल्वारिस का कैदी नंबर 9935 और सुधाकरन का कैदी नंबर 9936 है.


आज शशिकला की अपील की थी कि उन्हें सरेंडर करने के लिए कुछ और वक्त दिया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने और वक्त देने से इनकार कर दिया. सरेंडर करने से पहले शशिकला जयललिता की समाधि पर भी गईं.


आपको बाता दें किआय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें चार साल की सज़ा के साथ ही उनपर दस करोड़ का जुर्माना भी लगाया है. फैसले के बाद शशिकला अब दस साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगी.








मैं कहीं भी रहूं, हमेशा पार्टी के बारे में ही सोचूंगी- शशिकला


कल शशिकला ने विधायकों से कहा, ”मेरे खिलाफ केस डीएमके ने फाइल किया था, मैं इसे संभाल लूंगी. आप लोगों एकजुट रहना होगा और तय करना होगा कि लोग डीएमके के अस्तित्व पर सवाल करें.” शशिकला अपनी बात कहते हुए भावुक भी हो गईं थीं. उन्होंने कहा, “कोई भी ताकत मुझे एआएईडीएमके से अलग नहीं कर सकती, मैं कहीं भी रहूं मैं हमेशा पार्टी के बारे में ही सोचूंगी.”


दिनाकरन और वेंकटेश AIADMK में शामिल


एआईडीएमके की महासचिव प्रमुख शशिकला ने अपने संबंधियों दिनाकरन और वेंकटेश को फिर से पार्टी में शामिल कर लिया है. दोनों को जयललिता ने एक साल पहले पार्टी से निष्कासित कर दिया था. शशिकला ने बताया कि राज्यसभा के पूर्व सदस्य टी टी वी दिनाकरन को एआईएडीएमके का उप महासचिव नियुक्त किया गया.


ईके पलनीसामी चुने गए विधायक दल के नेता


 वहीं, कल शशिकला की मौजूदगी में हुई एआईएडीएमके विधायकों के साथ बैठक में ईके पलनीसामी को विधायक दल का नया नेता चुन लिया गया है. पलनीसामी शशिकला के वफ़ादार माने जाते हैं. विधायक दल की बैठक में पार्टी के बाग़ी नेता ओ पनीरसेल्वम को एआईएडीएमके निकाल दिया गया है. हालांकि पनीरसेल्वम ने पार्टी विधायकों से कहा है कि मदभेद भुलाकर सबको मिलकर पार्टी को एक रखने के लिए काम करना चाहिए और अम्मा के शासन को आगे बढ़ाना चाहिए.  उधर 12 सांसदों और 10 विधायकों के साथ ओ पन्नीरसेल्वम का आंकड़ा कमज़ोर है, हालांकि जन समर्थन इस वक़्त ओ पन्नीरसेल्वम के पास है.


शशिकला के खिलाफ केस क्या है?


ये मामला करीब 21 साल पुराना साल 1996 का है, जब जयललिता के खिलाफ आय से 66 करोड़ रुपये की ज्यादा की संपत्ति का केस दर्ज हुआ था. इस केस में जयललिता के साथ शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी आरोपी बनाया गया था. शशिकला के खिलाफ ये केस निचली अदालतों से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है.


सुप्रीम कोर्ट से पहले इस केस में क्या क्या फैसले आए थे-


27 सितंबर 2014 को बेंगलूरु की विशेष अदालत ने जयललिता को 4 साल की जेल और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना की सजा दी थी. इस केस में ही शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी चार साल की सजा सुनाई गई थी और 10-10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया था. फैसले के बाद चारों को जेल भी भेजा गया था. जिसके बाद विशेष अदालत के बाद मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा था.


11 मई 2015 को हाईकोर्ट ने कर दिया था बरी


11 मई 2015 को हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में चारों को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट से जयललिता और शशिकला को बड़ी राहत तो मिली थी, लेकिन इसके बाद कर्नाटक की सरकार जयललिता की विरोधी पार्टी डीएमके और बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दे दी.


कर्नाटक सरकार इस मामले में इसलिए पड़ी, क्योंकि 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने केस को कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था.