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क्या सत्ता की चाभी शशिकला के पास रहेगी?
नई दिल्ली: जयललिता के बाद पनीरसेल्वम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने लेकिन खबर है कि सत्ता की चाभी शशिकला के पास रहने वाली है. शशिकला जयललिता की सबसे करीबी रही हैं और अभी भी उनकी पार्टी पर मजबूत पकड़ है. खास बात है कि वो पार्टी या सरकार में किसी पद पर नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें जयललिता का स्वाभाविक उत्तराधिकारी बताया जा रहा है.
जयललिता को श्रद्धांजलि देने चेन्नई पहुंचे प्रधानमंत्री ने भी शशिकला को सांत्वना दिया. समर्थकों के बीच चिनम्मा के नाम से मशहूर शशिकला को ही जयललिता की पार्टी का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जा रहा है. जिस वक्त पीएम मोदी ने शशिकला के सिर पर हाथ रखा राज्य के मुख्यमंत्री पन्नीरसेल्वम पास में ही मौजूद थे. पीएम से मिलते वक्त पन्नीरसेल्वम भी रो पड़े. वो तब से जयललिता सरकार की सूत्रधार हैं जब जयललिता पहली बार मुख्यमंत्री बनी थीं. उनके बारे में अब भी यही कहा जा रहा है कि सत्ता का चेहरा भले ही पनीरसेल्वम हों लेकिन चाभी शशिकला के पास ही रहेगी.
वरिष्ठ पत्रकार राजगोपाल ने कहा कि शशिकला बैकग्राउंड पॉलिटिक्स करेंगी और पनीरसेल्वम टॉप हेड होंगे. शशिकला जयललिता के समय से इस रोल में है. जयललिता से करीबी रिश्ते की वजह से पार्टी और सरकार में कोई पद ना होने के बावजूद उनकी शुरू से सत्ता पर मजबूत पकड़ रही है.
जयललिता से करीबी रिश्ता शशिकला की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत है. दोनों की दोस्ती 80 के दशक से शुरू हुई और अंत समय तक थोड़े उतार चढ़ाव के बावजूद बनी रही. शशिकला के काम करने का अंदाज भी कुछ हदतक जयललिता जैसा ही है.
वरिष्ठ पत्रकार राजगोपाल बताते हैं कि वो 90 फीसदी जयललिता है. लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद ये नहीं कहा जा सकता है कि शशिकला की राह आसान है . दरअसल उनकी सबसे बड़ी ताकत जयललिता थीं जो अब नहीं हैं. खुद शशिकला का कोई राजनीतिक आधार नहीं है, दूसरी तरफ पार्टी में कई ऐसे कद्दावर चेहरा हैं जो जयललिता को टक्कर दे सकते हैं.
शशिकला लोगों के सामने खुद को जयललिता के स्वाभाविक वारिस के तौर पर पेश कर सकती हैं लेकिन उसमें समस्या ये है कि लोगों ने दो बार दोनों के रिश्तों में जबरदस्त खटास देखी है. पहली बार 1996 में, दूसरी बार 2011 में और खटास भी ऐसी कि जयललिता ने शशिकला को अपने घर से ही निकाल दिया था. लेकिन दोनों के रिश्ते में कुछ खास तो जरूर है जो शशिकला फिर से जयललिता के साथ साये की तरह दिखने लगी.
जयललिता और शशिकला के करीबी रिश्ते का एक पेंच वी एन सुधाकरण हैं. सुधाकरण शशिकला के भतीजे हैं जिनको जयललिता ने गोद लिया था. साल 1995 में जयललिता ने सुधाकरण की शादी में करीब 100 करोड़ खर्च किये थे और ये शादी पूरी दुनिया में सुर्खियां बनी थीं. हालांकि बाद में जयललिता ने सुधाकरण के साथ अपने रिश्ते को सीमित कर लिया था.
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