नई दिल्ली/चेन्नईतमिलनाडु में पन्नीरसेल्वम से लड़ाई के बीच शशिकला का सीएम बनने का सपना पूरा होगा या टूट जाएगा ? आज सुप्रीम कोर्ट से इसका फैसला हो सकता है, क्योंकि आय से अधिक संपत्ति के केस में सुबह साढ़े दस बजे सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला तमिलनाडु की राजनीति में शशिकला का भविष्य तय करेगा.


जानें- जयललिता के निधन के बाद तमिलनाडु की राजनीति में क्या है शशिकला की अहमियत


फैसला से तमिलनाडु की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा-




  • अगर सुप्रीम कोर्ट से फैसला शशिकला के पक्ष में आता है तो उनके लिए मुख्यमंत्री बनने की राह आसान हो जाएगी.

  • अगर फैसला खिलाफ आता है तो शशिकला का ना सिर्फ सीएम बनने का सपना टूटेगा, बल्कि उनके राजनीतिक करियर का भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा.

  • फैसला पक्ष में आने पर पार्टी के अंदर की लड़ाई लड़ने में शशिकला का मनोबल बढ़ेगा.

  • वहीं अगर दोषी ठहराई गईं तो छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लग जाएगी.


अगर ऐसा हुआ तो शशिकला का सीएम बनने का सपना चूर-चूर हो जाएगा!

शशिकला के खिलाफ केस क्या है?


ये मामला करीब 21 साल पुराना साल 1996 का है, जब जयललिता के खिलाफ आय से 66 करोड़ रुपये की ज्यादा की संपत्ति का केस दर्ज हुआ था. इस केस में जयललिता के साथ शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी आरोपी बनाया गया था. शशिकला के खिलाफ ये केस निचली अदालतों से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा है.


सुप्रीम कोर्ट से पहले इस केस में क्या क्या फैसले आए थे-


27 सितंबर 2014 को बेंगलूरु की विशेष अदालत ने जयललिता को 4 साल की सजा सुनाई थी. इसके अलावा जयललिता पर 100 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इस केस में ही शशिकला और उनके दो रिश्तेदारों को भी चार साल की सजा सुनाई गई थी और 10-10 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया था. फैसले के बाद चारों को जेल भी भेजा गया था. जिसके बाद विशेष अदालत के बाद मामला कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा था.


11 मई 2015 को हाईकोर्ट ने कर दिया था बरी-


11 मई 2015 को हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में चारों को बरी कर दिया था. हाईकोर्ट से जयललिता और शशिकला को बड़ी राहत तो मिली थी, लेकिन इसके बाद कर्नाटक की सरकार जयललिता की विरोधी पार्टी डीएमके और बीजेपी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दे दी.


कर्नाटक सरकार इस मामले में इसलिए पड़ी, क्योंकि 2002 में सुप्रीम कोर्ट ने केस को कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था.