नई दिल्ली: चीन के साथ तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत की जमीन पर किसी कब्जा नहीं है और न ही कोई घुसपैठ हुई थी. अब सैटेलाइट तस्वीरें भी इस बात की गवाही दे रही हैं कि भारत की जमीन पर किसी तरह की कोई घुसपैठ नहीं हुई थी.
चीनी सेना ने एलएसी के पार बफर जोन या नौ मैंस लैंड में भारत के साथ धोखा जरूर किया जिसका भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया. लेकिन एलएसी के इस पार हिंदुस्तान की सरहद में चीनी सेना कभी नहीं आई. गलवान घाटी में भारत की जमीन पूरी तरह से महफूज है.
सूत्रों के हवाले से जो सैटेलाइट की तस्वीरें मिली हैं वो 6 मई से लेकर 18 जून तक के बीच की हैं. हर तस्वीर ये बात साफ हो रही है कि कैसे चीन से साजिश को अंजाम दिया? चीन ने गलवान नदी के पानी को रोका. फिर उसको डायवर्ट किया. इसके बाद जब नदी सूख गई तो उस वैली का इस्तेमाल करते हुए वो एलएसी के नजदीक आने लगा. एलएसी के नजदीक आने के बाद चीन ने वहां पर टेंट लगा दिए. यानी चीनी सेना ने भारत के साथ समझौते का उल्लंघन किया. इस समझौते के तहत एलएसी के पास किसी तरह भी तरह के सैनिक जमावड़े और निर्माण न करने के समझौते का चीन ने उल्लंघन किया.
टेंट लगाने के बाद उसने भारी हथियार इकट्ठे कर लिए. चीन ने नियमों का उल्लंघन करते हुए अक्साई चिन (भारत का इलाका जिस पर चीन ने अवैध कब्जा किया हुआ है) में चीन ने अपना बिल्ट अप किया. इसी को रोकने के लिए जब 14 जून की रात साझा सहमति के बाद जब भारत के सैनिक टेंट उखाड़ने पहुंचे थे तब उसके बाद झड़प हुई थी जिसमें 40 चीनी सैनिक मारे गए. इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए.
चीन ने भारी मशीनरी के जरिए 24 अप्रैल और 18 जून के बीच गलवान नदी का वाटर फ्लो रोक दिया. इसके बाद घाटी सूख गई और चीनी सेना के लिए गलवान नदी के पास एलएसी पहुंचा आसान हो गया.