Satyendra Jain PMLA Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार (12 नवंबर) को दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस (Money Laundering Case) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दरअसल, इस केस में मंत्री सत्येंद्र जैन के सह-आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन की ओर से अदालत में जमानत याचिका दायर की गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने ईडी से इस पर जवाब मांगा है. तीनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. 


जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की बेंच ने ईडी से जवाब मांगा और मामले को सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका के साथ सूचीबद्ध किया है, जिस पर 20 दिसंबर को सुनवाई होनी है. कुछ दिन पहले ही सत्येंद्र जैन ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में उन्हें जमानत देने से इनकार के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली जमानत याचिका के साथ उसी हाईकोर्ट का दवराजा खटखटाया था. कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को भी नोटिस जारी किया है और मामले की सुनवाई 20 दिसंबर के लिए तय की है. 


ट्रायल कोर्ट ने खारिज की थी जमानत याचिका


ट्रायल कोर्ट ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज कर दी थी. ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि पहली बार में देखने पर रिकॉर्ड में आया है कि आवेदकों वैभव और अंकुश जैन ने जानबूझकर सह-आरोपी सत्येंद्र कुमार जैन को अपराध की कार्यवाही को छिपाने और अपराध की कार्रवाई को बेदाग होने का दावा करके में मदद की. कोर्ट ने आगे कहा कि आईडीसी 2016 के तहत प्रथमदृष्टया सत्येंद्र जैन अपराध में शामिल हैं. सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 को प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धाराओं के तहर गिरफ्तार किया था. 


मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अपनी जमानत याचिका में कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज और ईडी ने पूरी तरह से अकोमोडेशन एंट्री के आधार पर अपराध की कार्यवाही की पहचान करके पीएमएलए को गलत तरीके से पढ़ा और गलत तरीके से लागू किया. यह आवास प्रविष्टयां अपने आप में पीएमएलए के तहत दंडनीय अपराध का कारण नहीं बन सकती हैं. 


कोर्ट ने दी ये दलील


वहीं, राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी सत्येंद्र जैन ने जानबूझकर ऐसी गतिविधियां की हैं, ताकि गलत तरीके से कमाए गए धन के स्रोत का पता ना लगाया जा सके. कोर्ट ने कहा कि सत्येंद्र जैन ने कोलकाता के ऑपरेटरों को पैसे दिए और इसके बाद इस कैश को शेयरों की बिक्री के जरिए इन तीन कंपनियों में लाया गया. इसके जरिए यह दिखाने की कोशिश की गई कि इन तीनों कंपनियों की आय बेदाग है. इस पूरी प्रक्रिया के जरिए 4.61 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग की गई. 


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