सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है. रविवार को सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी आरामको ने एशिया के लिए ऑइल शिपमेंट की Official selling prize में बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है. खास बात ये है कि आरामको ने यूरोप के लिए तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है. मई माह के लिए तेल की Official selling prize में की गई बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि दुनिया में कच्चे तेल के सबसे बड़े निर्यातक पर भारत द्वारा सऊदी अरब के आयात को कम करने की योजना का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है.

तेल की कीमत को लेकर जारी है कशमकश

सऊदी अरब द्वारा Official selling prize में बढ़ोतरी कच्चे तेल की विभिन्न श्रेणियों के लिए 20 से 50 सेंट प्रति बैरल तक की गई है. आरामको कंपनी हर महीने तेल आपूर्ति के अनुबंध की शर्तों के अनुरूप Official selling prize निर्धारित करती है. दरअसल, भारत और सऊदी अरब के बीच कच्चे तेल को लेकर कशमकश पिछले काफी समय से जारी है. पिछले दिनों भारत ने मध्य पूर्व एशिया के देशों पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए देश में तेल उत्पादन बढ़ाने को कहा था. भारत के इस कदम को तेल उत्पादन करने वाले देशों के संगठन OPEC (Organization of the Petroleum Exporting Countries) के लिए एक संदेश माना जा रहा था कि उनकी मनमानी नहीं चलेगी.

तेल आयात में कटौती की योजना

भारत ने सऊदी अरब से तेल के आयात में कटौती के लिए योजना भी बनाई थी. भारत आमतौर पर सऊदी अरब से हर महीने 14.7-14.8 मिलियन बैरल तेल आयात करता है, जिसे कम करते हुई आयात 10.8 मिलियन बैरल तक घटाया जाना था. भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विभाग के मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सऊदी अरब के तेल मंत्री अब्दुल अजीज बिन सलमान से कच्चे तेल के दामों को कम करने की अपील भी की थी. लेकिन आरामको ने जिस प्रकार से तेल की कीमतों में इजाफा किया है, उसे देखते हुए लगता है कि भारत के दबाव का सऊदी अरब पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है.

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