Madhya Pradesh Corruption Case: मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल पर चल रहे भ्रष्टाचार के मामले में लोकायुक्त की जांच में खामियां सामने आई हैं. कोर्ट दस्तावेजों के अनुसार लोकायुक्त ने 28.5 लाख रुपये नकद, 5 लाख रुपये से ज्यादा के आभूषण और 21 लाख रुपये की चांदी जब्त करने का दावा किया था. हालांकि पहले लोकायुक्त ने 7.98 करोड़ रुपये की जब्ती का दावा किया था जिससे इस मामले में संभावित लापरवाही या जानबूझकर गुमराह करने की आशंका बढ़ गई है.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है. भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर में छापेमारी के दौरान ईडी ने कई अहम सबूत जुटाए. खासकर लोकायुक्त की टीम ने कांस्टेबल शर्मा के मुख्य घर और दफ्तर पर छापेमारी की, लेकिन उनका दूसरा घर और उनके सहयोगी शरद जायसवाल का निवास जांच से अछूता रहा.
ईडी की जांच में सोना, नकद और दस्तावेज बरामद
जांच के दौरान एक इनोवा कार, जिसमें 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकद होने की संभावना थी. उसे अभी पकड़ा नहीं जा सका. ये कार बाद में जंगल में लावारिस हालत में मिली. इसके अलावा शर्मा के दफ्तर के पास खड़ी एक बाकी गाड़ी को भी नजरअंदाज किया गया जिसमें ईडी को अहम दस्तावेज मिले.
आयकर विभाग की जांच में शर्मा के बड़े भ्रष्टाचार का पर्दाफाश
शर्मा ने 2015 में अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति पर कांस्टेबल के रूप में जॉइन किया था. 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने भ्रष्टाचार से अर्जित धन को रियल एस्टेट, स्कूलों और होटलों में निवेश किया. आयकर विभाग की जांच में ये भी पता चला कि ट्रांसपोर्ट विभाग के 52 जिलों में फैले अधिकारियों के साथ शर्मा का रिश्ता था जिसमें 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की लेन-देन का पता चला.
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ईडी और आयकर विभाग से जांच कराने का आग्रह किया. वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा "हम हर लेवल पर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं."