(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Savitribai Phule: 9 साल की उम्र में शादी, लड़कियों के लिए खोला पहला स्कूल, जानें महिलाओं के अधिकारों के लिए सावित्रीबाई फुले ने किया क्या संघर्ष
Savitribai Phule: 19वीं सदी में जहां महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा एक सपना हुआ करता था उस समय सावित्रीबाई फुले ने बेटियों की पढ़ाई का बीड़ा उठाया था. उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई भी लड़ी.
Savitribai Phule Death Anniversary: आज (10 मार्च) भारत की पहली महिला शिक्षिका और समाज सुधारिका सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) की पुण्यतिथि है. इतिहास के पन्नों में उन्हें महिला सशक्तिकरण की मुखर आवाज कहा जाता है. वह एक भारतीय समाज सुधारक, न्याय और बराबरी की प्रबल पैरोकार रहीं. 10 मार्च 1897 में उनका निधन हो गया था.
सावित्रीबाई फुले के बारे में 10 बड़ी बातें
1- सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के नायगांव में हुआ था. वह लक्ष्मी और खांडोजी नेवेशे पाटिल की सबसे बड़ी बेटी थीं. 9 साल की उम्र में फुले की शादी 13 साल के ज्योतिराव फुले से हो गई थी. ज्योतिराव महाराष्ट्र के महानतम समाज सुधारकों में से एक थे.
2- फुले को देश की पहली क्रांतिकारी नारीवादी के रूप में जाना जाता है. उन्होंने शादी के बाद पढ़ना और लिखना सीखा और जल्द ही सगुनाबाई के साथ पुणे के महारवाड़ा में लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया.
3- जल्द ही, फुले ने अपने पति के साथ, 1848 में भिडे वाडा में लड़कियों के लिए भारत का पहला स्कूल शुरू किया. स्कूल का पाठ्यक्रम पश्चिमी शिक्षा पर आधारित था और इसमें गणित, विज्ञान और सोशल स्टडी की पढ़ाई शामिल थी. 1851 तक, सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले पुणे में लगभग 150 लड़कियों के साथ तीन स्कूल चला रहे थे. इस दौरान उन्हें समाज के प्रतिरोध का भी सामना करना पड़ा था.
4- लड़कियों को पढ़ाने के साथ ही सावित्रीबाई फुले ने दहेज और महिला सशक्तिकरण में बाधा डालने वाली अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी.
5- फुले ने मांग और महार सहित दलित जातियों की महिलाओं और बच्चों को पढ़ाना भी शुरू किया, जिन्हें अछूत माना जाता था. पति के साथ मिलकर उन्होंने कई जातियों के बच्चों के लिए 18 स्कूल खोले. उन्होंने और उनके पति ने दो शैक्षिक ट्रस्टों (नेटिव फीमेल स्कूल, पुणे और सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ द एजुकेशन ऑफ महार) की स्थापना की.
6- 1852 में ब्रिटिश सरकार ने फुले परिवार को शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया और सावित्रीबाई को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के रूप में नामित किया. 1855 में, दंपति ने किसानों और मजदूरों के लिए एक नाइट स्कूल शुरू किया.
7- 1863 में ज्योतिराव और सावित्रीबाई ने भारत में पहली बार शिशुहत्या निषेध गृह (Infanticide Prohibition Home) की शुरुआत की, जिसे बालहत्या प्रतिबन्धक गृह कहा जाता है. इसकी मदद से गर्भवती ब्राह्मण विधवाओं और बलात्कार पीड़ितों को बच्चे पैदा करने में मदद मिली.
8- सावित्रीबाई ने दो पुस्तकें भी लिखीं हैं. इनमें 1854 में काव्या फुले और 1892 में बावन काशी सुबोध रत्नाकर शामिल हैं.
9- इतना ही नहीं सावित्रीबाई ने विधवाओं के सिर मुंडवाने की प्रथा के विरोध में मुंबई और पुणे में नाइयों की हड़ताल का आयोजन किया था.
10- सावित्रीबाई और उनके पति की कभी कोई संतान नहीं थी लेकिन उन्होंने एक लड़के को गोद लिया था जिनका नाम यशवंतराव था.
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