कांग्रेस की नेता सावित्रीबाई फुले ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और कहा है कि वे खुद की पार्टी बनाएंगी. उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी को छोड़ कर कांग्रेस का हाथ थामा था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के भीतर उनकी बातों को सुना नहीं जा रहा था.


बहराइच की पूर्व सांसद सावित्री बाई फुले ने पिछले साल दिसंबर में बीजेपी से इस्तीफा दिया था. वे बीजेपी से काफी नाराज थीं और उन्होंने कहा था कि उनकी आवाज को पार्टी आलाकमान नहीं सुन रहा है. उन्होंने ये भी कहा था कि बीजेपी समाज को बांट रही है.


ऐसी जानकारी है कि वो लखनऊ में नई पार्टी का ऐलान जनवरी के महीने में कर सकती हैं. उन्होंने बीजेपी की कई मुद्दों पर आलोचना की थी यही नहीं उनके बयानों के कारण पार्टी कई बार असमंजस की स्थिति में भी फंसी.


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उन्होंने बाबा साहेब बीआर आंबेडकर की पुण्यतिथि को इस्तीफे के लिए चुना था और कहा खा कि चौकीदार की पहरेदारी में संसाधनों की चोरी हो रही है. उन्होंने ना केवल इलाहाबाद का नाम बदले जाने पर आपत्ति जताई थी बल्कि अयोध्या में बुद्ध मंदिर बनाए जाने की वकालत की थी.


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उन्होंने मई 2018 में कहा था कि लोकसभा में अनुसूचित जाति, पिछड़ी जाति, जनजाति, आदिवासी समाज पर जब भी चर्चा होती है, तो हम लोगों को बहुत कम समय दिया जाता है. इसलिए बहुजन समाज के सांसद अपनी पूरी बात कह नहीं पाते हैं.


फुले के इस्तीफे के बाद ओपी राजभर ने भी उनका समर्थन किया था और कहा था कि बीजेपी में सांसदों व विधायकों की बात को नहीं सुना जाता है.


बीजेपी छोड़ने के बाद सावित्रीबाई फुले कांग्रेस में शामिल हो गई थीं और अब उन्होंने कांग्रेस का हाथ भी छोड़ दिया है. उन्होंने साफ कहा है कि वे अपनी पार्टी बनाएंगी. देखना होगा कि क्या दलित समाज के लोग उनकी इस नई पार्टी पर भरोसा जताएंगे?