सावित्रीबाई फुले के इस्तीफे से बढ़ा बीजेपी का संकट, सहयोगी दल ने भी दिखाए बागी तेवर
कुशवाहा ने बीजेपी पर तीखा हमला किया और कवि रामधारी सिंह दिनकर के ‘रश्मिरथी’ में दुर्योधन को दिए भगवान कृष्ण के उपदेश का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि मित्रता का भाव खत्म हो चुका है तो अब याचना नहीं रण होगा.’’
![सावित्रीबाई फुले के इस्तीफे से बढ़ा बीजेपी का संकट, सहयोगी दल ने भी दिखाए बागी तेवर Savitribai Phule's resignation increased BJP's crisis, the allies also showed rebel सावित्रीबाई फुले के इस्तीफे से बढ़ा बीजेपी का संकट, सहयोगी दल ने भी दिखाए बागी तेवर](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2018/12/07081019/adaada.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
मोतिहारी/लखनऊ: बीजेपी को बृहस्पतिवार को दोहरे झटके झेलने पड़े. उत्तर प्रदेश से दलित सांसद सावित्री बाई फुले ने पार्टी छोड़ते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी विभाजनकारी राजनीति कर रही है, जबकि उसके सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के खिलाफ मोर्चा खोलने की घोषणा करते हुए बागी तेवर दिखाते प्रतीत हुए.
बिहार के पूर्वी चंपारण जिला मुख्यालय मोतिहारी में पार्टी के चिंतन शिविर के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए कुशवाहा ने बीजेपी पर तीखा हमला किया और कवि रामधारी सिंह दिनकर के ‘रश्मिरथी’ में दुर्योधन को दिए भगवान कृष्ण के उपदेश का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि मित्रता का भाव खत्म हो चुका है तो अब याचना नहीं रण होगा.’’
हालांकि उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से अलग होने की घोषणा नहीं की.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ेंगे, इस पर उन्होंने कहा, ‘‘मैंने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह एक रण है. आप मुझसे और क्या कहने की उम्मीद करते हैं?’’
उन्होंने नीतीश कुमार सरकार पर सभी मोर्चों पर विफल रहने का आरोप लगाया. कुशवाहा लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर अक्सर सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जताते रहे हैं.
लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी की बहराइच से सांसद सावित्री बाई फुले ने पार्टी से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया. उल्लेखनीय है कि फूले कई मौकों पर पार्टी लाइन से हटकर बयान देकर पहले भी विवादों में रही हैं. वह अनुसूचित जातियों से जुड़े मुद्दों पर बीजेपी की कटु आलोचना करती रहीं हैं. पार्टी इस समुदाय को लुभाने की कोशिश करती रही है. फुले के जाने से उसकी इस कवायद को धक्का लगा है.
बहराइच से सांसद ने दलित नेता बी आर आंबेडकर की पुण्यतिथि को इस्तीफे के लिए चुना. उन्होंने कहा कि वह संविधान को अक्षरश: लागू करवाना चाहती हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर परोक्ष रूप से इशारा करते हुए कहा, ‘‘देश के चौकीदार की पहरेदारी में संसाधनों की चोरी करायी जा रही है.’’
उन्होंने कहा, 'विहिप, बीजेपी और आरएसएस से जुड़े संगठनों द्वारा अयोध्या में पुन: 1992 जैसी स्थिति पैदा करके समाज में विभाजन और सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा करने की कोशिश की जा रही है. इससे आहत होकर मैं बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं.'
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)