West Bengal Governor Vs TMC: पश्चिम बंगाल में ममता सरकार और राज्यपाल के बीच एक बार फिर टकराव बढ़ गया है. तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायकों ने शपथ ग्रहण समारोह स्थल को लेकर जारी विवाद के कारण शपथ नहीं ले पाने के एक दिन बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा परिसर में गुरुवार को धरना प्रदर्शन दिया. उन्होंने राज्यपाल से विधानसभा में शपथ ग्रहण कराने की मांग की.


न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के भगवानगोला उपचुनाव में नवनिर्वाचित टीएमसी विधायक रेयात हुसैन सरकार और बारानगर विधानसभा से एक्ट्रेस से विधायक बनी सायंतिका बनर्जी पश्चिम बंगाल विधानसभा परिसर में बीआर अंबेडकर प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गए. उनकी मांग है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस विधानसभा के अंदर शपथ ग्रहण समारोह आयोजित कराकर उन्हें निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के कर्तव्य का निर्वहन करने दें. राज्यपाल से विधानसभा में शपथ ग्रहण कराने की मांग की.


हमारी शपथ विधानसभा में ही दिलाई जाए- रेयात हुसैन


इस दौरान टीएमसी विधायक रेयात हुसैन सरकार ने बताया कि राज्यपाल अहंकार में हैं, हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है. हम नए चुने गए विधायक हैं, लोगों ने हमें चुना है. उन्होंने कहा कि हम पूरे देश से अपील करते हैं कि जो भी अन्य राज्यों में परंपरा है, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर या राज्यपाल विधानसभा में विधायकों की शपथ दिलाते हैं. मुझे नहीं पता कि राज्यपाल अहंकार में क्यों हैं और पश्चिम बंगाल के साथ अन्याय क्यों कर रहे हैं, हमारी मांग है कि हमारी शपथ विधानसभा में ही दिलाई जाए. 






संविधान के अनुसार गवर्नर नहीं कर रहे काम- सायंतिका बनर्जी


इसके साथ ही बारानगर से उपचुनाव में नवनिर्वाचित टीएमसी विधायक सायंतिका बनर्जी का कहना है कि हम उनका राज्यपाल उनकी कुर्सी और संविधान का सम्मान करते हैं, लेकिन वह हमें सम्मान नहीं दे रहे हैं और संविधान के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं. उन्हें विधानसभा में आकर हमारा शपथ ग्रहण समारोह आयोजित करना चाहिए या यह अधिकार स्पीकर को दे देना चाहिए. सायंतिका बनर्जी ने कहा कि हम यहां संविधान के साथ बैठे हैं. हम आपके (राज्यपाल) जैसे मनोनीत पद से अलग निर्वाचित हैं.


जानिए कल राज्यपाल ने क्या कहा?


पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने बुधवार रात को कहा था कि संविधान उन्हें यह फैसले लेने का अधिकार देता है कि विधायकों को शपथ दिलाने का काम किसे सौंपा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुझे विधानसभा को शपथ ग्रहण स्थल बनाने को लेकर कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन अध्यक्ष के आपत्तिजनक पत्र के कारण राज्यपाल के पद की गरिमा को ठेस पहुंची, इसलिए यह विकल्प व्यवहार्य नहीं पाया गया.'


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