SBI Electoral Bonds Data: इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर चुनाव आयोग की ओर से दी गई जानकारी में सामने आया है कि कई कंपनियों पर सीबीआई, ईडी और आईटी की रेड पड़ चुकी हैं. इनमें से भी 3 कंपनियों ने जांच एजेंसी की कार्रवाई के दौरान इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. इनमें फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और माइनिंग कंपनी वेदांता का नाम शामिल है.


चुनाव आयोग की ओर से दी गई डिटेल के अनुसार, फ्यूचर गेमिंग कंपनी ने सबसे ज्यादा 1368 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. कंपनी के कार्यालयों पर 2019, 2022 और 2024 में ईडी ने छापेमारी की थी और इसी दौरान कंपनी ने धडल्ले से इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. यह लोटरी इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनी है और इसके मालिक लोटरी किंग सेंटियागो मार्टिन हैं.


कंपनी की दक्षिण और पूर्वोत्तर में 13 राज्यों में ब्रांच हैं. कंपनी पर जुलाई, 2019 में ईडी की छापेमारी में 250 करोड़ और 2 अप्रैल, 2022 की छापेमारी में 409.92 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई थी. इसके पांच दिन बाद ही 7 अप्रैल को कंपनी ने 100 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे. लॉटरी रेग्यूलेन एक्ट, 1998 के उल्लंघन के आरोप में यह कार्रवाई हुई थी. ईडी ने कहा कि सेंटियागो मार्टिन और उनके सहयोगियों ने 1 अप्रैल, 2009 से 31 अगस्त, 2010 के दौरान लोटरी टिकट के जरिए गैरकानूनी तरीके से 910.3 करोड़ का लाभ लिया. इसी साल मार्च महीने में सेंटियागो मार्टिन के दामाद आधव अर्जुन से जुड़े ठिकानों पर भी छापेमारी हुई है.


दूसरे नंबर पर हैदराबाद की मेघा इंजीनिंयरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी है, जिसने 5 साल में करीब 1000 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. कंपनी के मालिक कृष्णा रेड्डी हैं. कंपनी पर अक्टूबर, 2019 में इनकम टैक्स विभाग ने छापेमारी की कार्रवाई की थी और बाद में ईडी ने भी कंपनी से जुड़े मामले में जांच की. उसी साल 12 अप्रैल को एक ही दिन में कंपनी ने 50 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. कंपनी ने तेलंगाना सरकार के साथ कालेश्वरम डैम प्रोजेक्ट, जोजिला टनल और पोलावरम डैम प्रोजेक्ट में काम किया है. 12 अप्रैल, 2019 से 12 अक्टूबर, 2023 के दौरान कंपनी ने 966 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे.


अनिल अग्रवाल की माइनिंग कंपनी वेदांता ने 376 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं और गौर करने वाली बात ये है कि 2018 के मध्य में ईडी ने कार्रवाई की थी. वेदांता ग्रुप से जुड़े ब्राइब फोर वीजा केस में यह कार्रवाई की गई थी. कंपनी पर आरोप था कि चीनी नागरिकों को गैरकानूनी तरीके से वीजा जारी किए गए. इसके अलावा, साल 2022 में ईडी ने कंपनी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में भी जांच शुरू की थी. 16 अप्रैल, 2019 को वेदांता ने 39 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. इसके बाद 2020 से 2023 के बीच 337 करोड़ के और चुनावी बॉन्ड वेदांता ग्रुप की तरफ से खरीदे गए.


यह भी पढ़ें:-
Electoral Bond: बीजेपी को मिला 60 अरब चंदा, 1700 करोड़ 2019 लोकसभा से पहले किया इनकैश, जानें 2024 चुनाव से पहले की डिटेल