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अब सिर्फ आधा लीटर RO के पानी से होगा महाकाल का जलाभिषेक: सुप्रीम कोर्ट
करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र महाकाल मंदिर और शिवलिंग को नुकसान से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी.याचिका में महाकाल पर लगातार जल चढ़ने, पंचामृत श्रृंगार और कई दूसरी पूजा सामग्रियों को नुकसान के लिए ज़िम्मेदार बताया गया था.
नई दिल्ली: उज्जैन के महाकाल मंदिर में जल और पंचामृत चढ़ाने की सीमा तय कर दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने आज इस बारे में मंदिर कमिटी के प्रस्ताव को लागू करने का निर्देश दिया है.
दरअसल, महाकाल ज्योतिर्लिंग को पहुँच रहे नुकसान को रोकने के लिए कोर्ट ने एक विशेषज्ञ कमिटी का गठन किया था. कमिटी ने गर्भगृह में श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करने, जल और दूध से बने पंचामृत की मात्रा कम करने जैसी कई सिफारिशें की थी.
आज विशेषज्ञ कमिटी की सिफारिशों पर मंदिर प्रबंधन को जवाब देना था. मंदिर प्रशासन ने बताया कि उसने कई कदम उठाने का प्रस्ताव पारित किया है.
मंदिर प्रबंधन के प्रस्ताव के मुताबिक-
- मंदिर में हर श्रद्धालु को सिर्फ आधा लीटर जल चढ़ाने दिया जाएगा.
- शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए RO पानी का इस्तेमाल होगा.
- हर श्रद्धालु को सवा लीटर तक पंचामृत चढ़ाने दिया जाएगा.
- भस्म आरती के समय शिवलिंग को सूखे सूती कपड़े से ढंका जाएगा.
- हर शाम 5 बजे जलाभिषेक खत्म होने के बाद गर्भगृह और शिवलिंग को सुखाया जाएगा.
- शिवलिंग पर चीनी का पाउडर लगाने पर रोक लगेगी. इसके बदले खंडसारी का इस्तेमाल होगा.
- गर्भगृह को सूखा रखने और शिवलिंग तक हवा आने देने के बंदोबस्त किए जाएंगे.
- मंदिर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाएगा.
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