नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने असम में अवैध तरीके से रह रहे विदेशियों के मसले पर केंद्र और असम सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने आज कहा, "ये एक मजाक सा बन गया है. फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने 60 हज़ार से ज़्यादा विदेशी नागरिकों की पहचान की. लेकिन हिरासत में सिर्फ 900 हैं. बाकी खुले घूम रहे हैं. लगता है कि कोई भी इस समस्या पर गंभीर नहीं है."

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने असम के मुख्य सचिव से हिरासत में रखे गए विदेशियों की संख्या पर हलफनामा दायर करने के लिए कहा है. कोर्ट ने ये भी बताने को कहा है कि इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार क्या करना चाहती है.

सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मांदर की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश जारी किया. इस याचिका में हिरासत केंद्रों में रह रहे विदेशी नागरिकों के मानवाधिकार का मसला उठाया गया है. कोर्ट ने आज लंबे अरसे से हिरासत केंद्र में रह रहे लोगों को उनके देश वापस भेजने में नाकामी के लिए सरकार को आड़े हाथों लिया.

कोर्ट ने असम सरकार से ये भी बताने को कहा है कि नागरिकता पर लोगों के दावे पर फैसला लेने वाले फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल की संख्या राज्य में पर्याप्त है या नहीं. मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी.

NRC का काम 31 जुलाई तक पूरा हो
असम से ही जुड़े एक और मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एक बार फिर साफ किया कि राज्य में नागरिक रजिस्टर पूरा करने की मियाद 31 जुलाई से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. इस पर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि चुनाव के बावजूद NRC के लिए सुरक्षा बल या स्टाफ की कमी नहीं होने दी जाएगी.

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