नई दिल्ली: फर्जी बाबाओं के आश्रमों पर नियंत्रण की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से जवाब देने को कहा है. याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि बिना किसी नियंत्रण के चल रहे कई आश्रम अवैध गतिविधियों का केंद्र बने हुए हैं, जिनमें महिलाओं के शोषण समेत कई अपराध सामने आ चुके हैं. याचिकाकर्ता ने इन आश्रमों में रह रही महिलाओं समेत दूसरे लोगों को बाहर निकालने की मांग करते हुए दलील दी है कि इससे उन्हें कोरोना के खतरे से बचाया जा सकेगा.


याचिकाकर्ता की दलील


तेलंगाना के रहने वाले याचिकाकर्ता दुमपला रामारेड्डी की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि इस तरह के 17 आश्रमों को खुद अखाड़ा परिषद फर्जी करार दे चुका है. वीरेंद्र देव दीक्षित, आसाराम, राम रहीम, राधे मां समेत ऐसे कई आश्रमों के संचालक गंभीर अपराध के लिए या तो जेल में बंद हैं, या फरार हैं. लेकिन उनके सहयोगी अब भी आश्रमों को चला रहे हैं. वहां बड़ी संख्या में महिलाओं और दूसरे लोगों को गुमराह करके रखा गया है.


याचिका में कहा गया है कि इस तरह के आश्रमों में महिलाओं के शोषण, नशीली दवाइयों के इस्तेमाल और कालेधन के हेर-फेर जैसी बातें भी सामने आई हैं. लेकिन इनकी गतिविधियों पर कोई नियंत्रण नहीं लगाया जा रहा. इन आश्रमों को बंद कर दिया जाना चाहिए. साथ ही, भविष्य में इन्हें खोलने को लेकर दिशानिर्देश भी बनाए जाने चाहिए.


कोरोना फैलने का अंदेशा


याचिका में दलील दी गई है कि कोर्ट, जेल और बाल सुधार गृह में कोरोना फैलने की आशंका के चलते भीड़ कम करने का आदेश दे चुका है. इस तरह के फ़र्ज़ी आश्रमों में भी लोगों के रहने की उचित व्यवस्था नहीं है. वहां कोरोना फैलने का अंदेशा बना हुआ है. इसलिए, इन्हें खाली करवाना बहुत ज़रूरी है.


‘बाबा के चंगुल में फंसी बेटी’


याचिकाकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि खुद उसकी बेटी वीरेंद्र देव दीक्षित नाम के फर्जी बाबा के झांसे में आकर पिछले 5 साल से रोहिणी में बने आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में रह रही है. जबकि फर्जी बाबा महिलाओं के यौन शोषण के आरोप में पिछले 3 साल से फरार है. ऐसे में याचिकाकर्ता ने खास तौर पर मांग की है कि अध्यात्मिक विश्वविद्यालय में रह रही 170 महिलाओं और दूसरे लोगों को वहां से निकाला जाए.


SC ने सरकार से विचार के लिए कहा


मामले की सुनवाई कर कर रही बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने मसले को महत्वपूर्ण बताया. कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वह इस पर अपना पक्ष रखें. कोर्ट ने टिप्पणी की, “कुछ फर्जी लोग सभी की बदनामी की वजह बन जाते हैं.“ मामले में आगे की सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी.


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